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रूपाराम प्रजापत

अफीम से मुक्ति

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रूपाराम प्रजापत बालेसर, जोधपुर संदर्भ-'राजकुल संदेश' 15सितम्बर 1994

मैं रूपाराम पुत्र श्री बाबूराम प्रजापत, गाँव बालेसर सताँ, जिला-जोधपुर का रहने वाला हूँ। मैं पिछले 7-8 वर्षों से निरन्तर अफीम का सेवन करता था। कभी-कभी अफीम लेने में देरी हो जाती तो शरीर जवाब दे जाता और मैं अपने आपे से बाहर हो जाता।

  • हमारे गाँव बालेसर में अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र, जोधपुर की ओर से एक दिवसीय ध्यान योग शिविर आयोजित किया गया, जिसमें "शक्तिपात दीक्षा" दी गई। मुझे किसी ग्रामवासी द्वारा बताया गया कि एक समर्थ गुरुदेव पधार रहे हैं, उनके सानिध्य में ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति एवं साक्षात्कार होता है एवं सभी प्रकार के नशों, रोगों एवं मानसिक बीमारियों से स्वतः एवं पूर्णतया मुक्ति बिना दवाई के मिल जाती है। मैंने भी जिज्ञासावश उस शिविर में भाग लिया।

पूज्य गुरुदेव द्वारा बताये गये तरीके से मैंने आराधना शुरू की। आराधना शुरु करने के चार-पाँच दिन में ही मुझे अफीम की तलब महसूस नहीं हुई। मेरा शरीर पूर्णतया स्वस्थ हो गया है।
  • मेरे करीब 12 साल से छाती में कष्टप्रद पीड़ा होती थी। इसके लिये मैं दर्द निवारक दवा हरदम पास में रखता था। इसको शान्त करने के लिए, मैं दवाई ले लेता था।

  • पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में आने के पश्चात उस बीमारी से भी मुझे पूर्णतया मुक्ति मिल चुकी है। दीक्षा के पाँच सात दिन बाद से आज तक मैंने (करीब 5 माह बाद) अफीम का सेवन नहीं किया। अफीम छोड़ने से मुझे किसी प्रकार की कठिनाई नहीं आई। आज मैं अपने आपको स्वस्थ पाता हूँ। यह सब श्रीगुरुदेव के सानिध्य एवं उनके द्वारा बताये गये ईश्वरीय मार्ग की देन हैं।

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