गुरुपूर्णिमा उत्सव

भारतीय पंचाग वर्ष-‘आषाढ़ मास की पूर्णिमा’ (अंग्रेजी महीने ‘जुलाई’ की किसी भी तारीख) को यह पर्व तिथि के आधार पर मनाया जाता है। भारतीय हिन्दी मास-‘आषाढ़ पूर्णिमा’ को प्रतिवर्ष यह पावन पर्व श्रद्धा और समर्पण भाव से मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा का दिन, धार्मिक दृष्टि से गुरु-शिष्य के बीच का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी ने अपने शिष्यों को आध्यात्मिक ज्ञान की दीक्षा दी थी। उस दिन के बाद से भारत की पवित्र भूमि पर यह पर्व बड़ी श्रद्धा व समर्पण से मनाया जाता है। व्यासजी के बताये अनुसार गुरु पूर्णिमा का, गुरु भक्तों के लिए विशेष महत्त्व होता है। इस दिन सभी शिष्य सदगुरुदेव की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गुरु मिलन का यह दुर्लभ क्षण, ईश्वर कृपा से ही प्राप्त होता है।
  • इस अवसर पर देश-विदेश से गुरुदेव के हजारों शिष्य इकत्रित होते हैं व सदगुरुदेव की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सदगुरुदेव की दिव्य वाणी में प्रवचन सुनने के बाद 15 मिनट, संजीवनी मंत्र के साथ सामूहिक ध्यान होता है। फिर प्रसाद ग्रहण कर सभी साधक अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते हैं।

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