बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी की बरसी

बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के आध्यात्मिक गुरु हैं।

  • बाबा श्री गंगाईनाथजी योगी आईपंथी नाथ सम्प्रदाय के सन्यांसी योगी थे। उनका जन्म पाली जिले के सिरमा ग्राम में हुआ। वे बाल्यकाल से ही ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे। उनका प्रारम्भिक आराधना काल आइपंथी नाथों के अस्थलभोर अखाड़े (हरियाणा), बनारस व हिमाचल प्रदेश में बीता।

  • फिर काजलवास (ग्यारह नाथों की समाधी) नामक स्थान पर आराधना कर रहे नाथ योगी बाबा श्री भाउनाथ जी ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति से गंगाईनाथ जी को बुलाया तथा अपनी शक्तिपात की सम्पूर्ण सामर्थ्य प्रदान की।

  • उसके पश्चात् वे कुछ वर्षों तक काजलवास में ही रहे। फिर अपने गुरु श्री भाऊनाथ जी के आदेश से बीकानेर के पास जामसर नामक स्थान पर रेत के टीले पर धूणा स्थापित कर, उन्होंने लम्बे समय तक तपस्या की।

फिर अप्रेल 1983 में अपनी योग शक्ति से बीकानेर रेलवे में कार्यरत गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग को बुलाकर, गुरुपद सौंपकर आदेश दिया कि ‘‘वैदिक दर्शन को विश्व दर्शन बनाना है।’
  • बाबा 31 दिसंबर, 1983 को सुबह 5 बजकर 22 मिनट पर ब्रह्मलीन हुए। यह पर्व (बाबा का समाधी दिवस) जामसर स्थित समाधी स्थल पर प्रतिवर्ष भारतीय पंचाग वर्ष के पौष मास की कृष्ण पक्ष की ग्यारस को मनाया जाता है (जो अंग्रेजी महीने के दिसम्बर या जनवरी में पड़ता है)।

  • भारत भर से हजारों साधक इसमें शामिल होते हैं। जोधपुर आश्रम में भी इस दिन दादा गुरुदेव की पूजा-अर्चना कर सामूहिक ध्यान का कार्यक्रम आयोजित होता है।

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