जीएसएसवाई क्या है?

जानिए! सदगुरुदेव की कृपा से सिद्धयोग-साधना की विधि द्वारा सरलता से ईश्वर प्रत्यक्षानुभूति कैसे हो सकती है?

मनुष्य के पूर्ण विकास का नाम ही ईश्वर है।

गुरुदेव सियाग सिद्धयोग, मंत्र जप व ध्यान पर आधारित एक अद्भुत योग है। यह योग (सिद्धयोग) नाथमत के योगियों की देन है। इसमें सभी प्रकार के योग जैसे भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, क्रियायोग, ज्ञानयोग, लययोग, भावयोग, हठयोग आदि सम्मिलित हैं, इसीलिए इसे‘सिद्धयोग’ या ‘महायोग’ भी कहते हैं।

सिद्धयोग में वर्णित शक्तिपात दीक्षा द्वारा कुण्डलिनी जागरण से साधक के त्रिविध ताप आधि-दैहिक (Physical), आधि-भौतिक (Mental) व आधि-दैविक (Spiritual) नष्ट हो जाते हैं तथा साधक जीवन मुक्त हो जाता है। समर्थ सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग ‘सिद्धयोग’ को मूर्तरूप दे रहे हैं।

गुरुदेव सियाग की असीम कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार करें।​
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  • गुरुदेव की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र सुनना ही शक्तिपात दीक्षा है। शक्तिपात दीक्षा लेने के बाद आपको प्रतिदिन निम्नलिखित दो कार्य करने हैं-

    1. संजीवनी मंत्र का अधिक से अधिक मानसिक जाप बिना होठ और जीभ हिलाये अपने दैनिक कार्य करते हुए करना है और ध्यान के समय भी।

    2. प्रतिदिन खाली पेट, सुबह और शाम 15-15 मिनट का ध्यान करना है।

  • सदगुरुदेव सियाग से दीक्षित साधकों को सघन मंत्र जप व नियमित ध्यान से भौतिक जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं, शारीरिक व मानसिक रोगों तथा नशों से सहज में मुक्ति मिल रही है। विद्यार्थियों की एकाग्रता व याद्दाश्त में अभूतपूर्व वृद्धि होती है।

  • भौतिक विज्ञान ने वर्तमान में जितना विकास किया है, उससे आगे का विकास इस सिद्धयोग आराधना द्वारा किया जाना संभव है। यदि विश्व के वैज्ञानिक विश्व और ब्रह्माण्ड की असंख्य समस्याओं व अनसुलझी पहेलियों को हल करना चाहें तो ध्यान और समाधि की अवस्था में इन सब का हल होना संभव है। मनुष्य ईश्वर की सर्वोच्च कृति है, उसमें असीम ज्ञान और विज्ञान का अद्भुत भण्डार भरा पड़ा है। इस सिद्धयोग से अपने भीतर की चेतना को जाग्रत कर उसका सदुपयोग किया जा सकता है।

प्रश्नः

  • ‘ईश्वर’ क्या है और मनुष्य, जीवन की सारी समस्याओं से मुक्त होकर, उसके ‘तद्रूप’ कैसे बन सकता है?

    मनुष्य के पूर्ण विकास का नाम ही ‘ईश्वर’ है।गुरुदेव सियाग सिद्धयोग में, मनुष्य शरीर रूपी सुन्दर ग्रंथ को पढ़ने का एक दिव्य विज्ञान, एक सरल और सहज तरीका है-मंत्र जप और ध्यान। इस विधि से नियमित सघन मंत्र जप व सुबह-शाम 15-15 मिनट ध्यान करके मुनुष्य अपने ‘तद्रूप’ बन सकता है। प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या? ध्यान करके देखें!

  • सदगुरुदेव सियाग की तस्वीर से ही क्यों लगता है-‘ध्यान’?

    गुरुदेव सियाग को सगुण साकार एवं निर्गुण निराकार की सिद्धि हो गई, इसी कारण से गुरुदेव की तस्वीर से ध्यान लगता है और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है। महर्षि श्री अरविन्द के अनुसार ये दोनों सिद्धियाँ यदि एक ही जीवन में, एक ही आदमी में हो जाए तो मानव मात्र का कल्याण हो जाएगा। यही कारण है कि गुरुदेव की तस्वीर से ध्यान लगता है।

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