ध्यान की विधि

गुरुदेव सियाग ने जीवन के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए अच्छे स्वास्थ्य और ज्ञान प्राप्ति के लिए आराधना की एक सहज और सरल विधि बताई है।

  • 1.

    आरामदायक स्थिति में किसी भी दिशा में मुंह करके बैठ जायें। आप जमीन पर या कुर्सी पर बैठ कर और यदि बैठ सकने की स्थिति में नहीं हैं तो पलंग पर लेट कर भी ध्यान कर सकते हैं।

  • 2.

    अब एक या दो मिनट के लिए सदगुरुदेव के चित्र को एकाग्र होकर देखें।

  • 3.

    फिर गुरुदेव से 15 मिनट ध्यान स्थिर करने के लिए प्रार्थना करें।

  • 4.

    अब आँखें बंद करके समर्थ सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर (जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं) केन्द्रित करें, और साथ ही साथ संजीवनी मंत्र का मानसिक रूप (बिना होंठ-जीभ हिलाए) से जाप करते हुए, ध्यान करें।

  • गुरुदेव सियाग की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र सुनें ।

  • 5.

    इस दौरान कोई भी यौगिक क्रिया (आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम) हो तो घबराएँ नहीं तथा न ही इन्हें रोकने का प्रयास करें। ये क्रियाएँ शारीरिक विकारों को ठीक करने के लिए होती हैं। ध्यान की अवधि पूर्ण होते ही सामान्य स्थिति हो जाएगी।

  • 6.

    इस विधि से सुबह-शाम खाली पेट नियमित रूप से (केवल 15 मिनट) ध्यान करते रहें।

शेयर करेंः