संजीवनी मंत्र

गुरुदेव सियाग सिद्धयोग साधना में संजीवनी मंत्र द्वारा शक्तिपात दीक्षा दी जाती है।

यह एक बीज मंत्र है। जैसे बरगद के पेड़ का बीज राई के दाने के समान होते हुए भी विशाल और वृहद वृक्ष बन जाता है उसी प्रकार इस मंत्र की शक्ति का भी कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। यह राधा और कृष्ण का मंत्र है। इसमें राधा तत्व है, वो सांसारिक सुख देगा और कृष्ण तत्व है, वो मोक्ष देगा। इसमें भोग और मोक्ष दोनो साथ-साथ चलते हैं।
— गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग 'संजीवनी मंत्र' का महत्व समझाते हुए

ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड अपनी चेतन और अचेतन वस्तुओं सहित एक दिव्य शब्द से बना है।

समर्थ सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग पिछले 30 सालों से साधकों को संजीवनी मंत्र द्वारा शक्तिपात दीक्षा दे रहे हैं।

रामायाण में वर्णन आता है कि भगवान श्री राम और रावण के बीच हुए युद्ध में लक्ष्मण जी को बाण लग गया और वो मूर्छित हो गए। हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए और जब उसे लक्ष्मण जी को दिया तब वह होश में आ गए।

इसी प्रकार गुरुदेव सियाग द्वारा दिए इस संजीवनी मंत्र का नियमित जाप करने से साधक को सभी प्रकार की बीमारियों एवं नशों से सहज में मुक्ति मिल जाती है।

इस मंत्र के जपने पर असाध्य शारीरिक रोग जैसे- एड्स, कैंसर, हिमोफिलिया, हिपेटाईटिस-बी आदि, मानसिक रोग जैसे- अवसाद, भय, चिंता, अन्द्रिा आदि एवं सभी प्रकार के नशों से मुक्त होकर साधक अपने अन्दर असीम शांति एवं सकारात्मक ऊर्जा महसूस करता है।

  • गुरुदेव ने स्पष्ट कहा है कि यह संजीवनी मंत्र एक चेतन मंत्र है। इसमें असंख्य गुरुओं की आध्यात्मिक कमाई निहित है। इस मंत्र को कुछ ही दिनों तक दिन-रात जपने पर साधक को इसका प्रभाव और ऊर्जा महसूस होने लगती है। गुरुदेव ने अपने प्रवचनों में कहा है कि इस मंत्र का दिन-रात मानसिक जाप करने पर साधक को उस रोग से मुक्ति मिल जाती है जिसे डाॅक्टर ने असाध्य कह दिया है।

  • गुरुदेव के असंख्य शिष्य जिन्हें बचने की कोई उम्मीद ना होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, वो इस मंत्र के जाप से पूर्ण स्वस्थ होकर चिंता मुक्त जीवन जी रहे हैं। गुरुदेव ने इसका श्रेय उन साधकों की गुरुदेव के प्रति निष्ठा के साथ संजीवनी मंत्र के नियमित जाप को दिया है। गुरुदेव कहते हैं कि उनका उद्देश्य तो मानव मात्र को मुक्ति के पथ पर अग्रसर करना है, जिस पर यह रोग और सांसारिक परेशानियाँ राह के रोड़े के समान हैं, जो इस मंत्र के जाप से स्वतः हट जाते हैं।

  • संजीवनी मंत्र से संबंधित ध्यान देने योग्य बातें

    1. संजीवनी मंत्र का मानसिक जाप बिना होठ और जीभ हिलाए करना है।
    2. इस मंत्र को दिन-रात अपने दैनिक कार्य करते हुए जपना है।
    3. ध्यान करते समय भी संजीवनी मंत्र का मानसिक जाप करते रहना है।
    4. संजीवनी मंत्र के साथ किसी भी और मंत्र को नहीं जपना है।
    5. संजीवनी मंत्र के साथ किसी भी प्रकार की छेड़-छाड़ नहीं करनी है।
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