विश्व की भविष्यवाणियाँ

आध्यात्मिक शास्त्रों में उल्लेखित विश्व की भविष्यवाणियों को पढ़ें

विश्व के सभी बड़े धर्मों में मानव के भविष्य की झलक भविष्यवाणियों के द्वारा प्रस्तुत की गई है।

हिन्दू या वैदिक धर्म, जो दक्षिणी पश्चिमी एशिया के तीन धर्मों, यहूदी, ईसाई तथा मुस्लिम के आरम्भ से पहले का है, विश्वास करता है कि पृथ्वी पर जीवन के विकास के चार महत्वपूर्णकाल हैं। प्रत्येक काल की एक अवस्था है जिसे ‘युग’ कहते हैं। जो लाखों वर्षों का होता है। इस प्रकार १-सतयुग (सत्य की अवस्था), २-त्रेता युग (जिसमें मात्र तीन चौथाई सत्य बचता है), ३-द्वापर युग (यहाँ केवल आधा सत्य ही रहता है) तथा ४-कलियुग (जिसमें सारा सत्य नष्ट हो जाता है)।

काल या युग जिसमें हम अब रहते हैं कलियुग है जो अंधकार युग भी कहलाता है। कलियुग के अन्त के साथ यह चार युग का चक्र पुनः बिना रुके चलता रहता है। प्रत्येक युग में एक ईश्वरीय सत्ता जो अवतार कहलाती है पृथ्वी पर अवतरित होती है और विकास का रास्ता दिखलाती है। वर्तमान में विश्व कलियुग के अन्तिम चरण से गुजर रहा है। कलियुग झगड़े, विरोध, हिंसा तथा विनाश का प्रतिनिधित्व करता है।

हिन्दू भविष्यवाणियों के अनुसार कलियुग के अन्त में एक ईश्वरीय सत्ता जिसे ‘कल्कि’ कहते हैं पृथ्वी पर मानव के रूप में अवतरित होगी। कल्कि समस्त विश्व के मनुष्यों के व्यवहार में आध्यात्मिक क्रान्ति के द्वारा सकारात्मक परिवर्तन लायेंगे जो स्थायी शान्ति का परिचायक होगा।

हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ भगवत गीता में कहा है (अध्याय 4 श्लोक 7 व 8):

  • यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
    ज्अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। 4:7।।

    गीता

    अध्याय 4 श्लोक 7

    अनुवाद: “हे भारत (अर्जुन) जब-जब धर्म की हानि (और) अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात प्रकट करता हूँ।”

  • परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
    धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।। 4:8 ।।

    गीता

    अध्याय 4 श्लोक 8

    अनुवाद: “साधु पुरूषों का उद्धार करने के लिये और दूषित कर्म करने वालों का नाश करने के लिये तथा धर्म की स्थापना करने के लिये युग-युग में प्रकट होता हूँ।”

यहूदियों और ईसाइयों दोनों ने जो बाइबल को मानते हैं, तीसरे तथा अन्तिम पैगम्बर के आगमन के बारे में भविष्यवाणी की है।ओल्ड टेस्टामेन्ट (पुराना वसीयतनामा), बाइबल जिसे यहूदी लोग मानते हैं, में, भविष्यवक्ता मलाकी ने भविष्य में आने वाले पैगम्बर के बारे में भविष्यवाणी की है जिसे वह “एलिय्याह” कहता है। न्यू टेस्टामेन्ट (नवीन वसीयतनामा), जिसमें ईसामसीह के सुसमाचार हैं (इंजील) बाइबल जिसे कैथोलिक्स मानते हैं,में, पैगम्बर के आगमन के बारे में एक भविष्यवाणी, और किसी ने नहीं, स्वयं जीसस ने की है जिसे वह ‘कम्फोर्टर‘ कहता है।

अवतार या पैगम्बर के आने के बारे में तीन विभिन्न धर्मों ने जो भविष्यवाणियाँ की है वह आश्चर्यजनक समानतायें रखती हैं। उन सभी ने २१ वीं शताब्दी में मानवता के विरूद्ध युद्ध, अकाल, भाई के द्वारा भाई की हत्या तथा प्राकृतिक आपदा द्वारा भयंकर ईश्वरीय प्रतिकार की भविष्यवाणी की है। मानवता के लगभग पूर्ण विनाश से, केवल निष्ठावान विश्वासपात्रों की रक्षा करने हेतु, अन्तिम अवतार या पैगम्बर के आने की बात वह कहते हैं।

इन भविष्यवाणियों का तुलनात्मक अध्ययन एक समझदार पाठक तथा मनन करने वाले को बहुधा शीघ्र ही इस निर्णय पर पहुँचा देगा कि हिन्दू, यहूदी तथा ईसाई यह तीनों ही धर्म तीन विभिन्न पैगम्बरों के बारे में नहीं कह रहे हैं बल्कि वास्तव में पृथ्वी पर ईश्वरीय नियम को पुनस्र्थापित करने के लिये एकमात्र वही दिव्य सत्ता अवतरित हुई है। अपने विश्वास के अनुसार मनुष्य ईश्वर को विभिन्न नामों द्वारा पुकार सकता है लेकिन वह वही दैवीय शक्ति रहती है, ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य समान रूप से समस्त विश्व पर चमकता है यद्यपि वह विभिन्न नामों से पुकारा जा सकता है।

इन भविष्यवाणियों में गुरू सियाग की एक झलक दी गई थी, 1984 में बाइबल के खास भाग के बार-बार देखे गये दृश्यों में उनके स्वयं के भावी रोल के बारे में न्यू टेस्टामेन्ट के ईसा के सुसमाचारों में से कुछ अंश जो उन्हें स्वप्न में दिखाये गये थे पृथ्वी पर ईश्वरीय नियम तथा स्थायी शान्ति स्थापित करने हेतु अन्तिम पैगम्बर या अवतार के लिये जीसस द्वारा बोले गये शब्दों का अनुसरण करते हुए दिखलाये गये थे।

जीसस, जो मोजैज के पश्चात दूसरे पैगम्बर माने जाते हैं उन्होंने स्वयं तीसरे एवं अन्तिम पैगम्बर या अवतार के आगमन की भविष्यवाणी की थी :

  • परन्तु जब वह सहायक आयेगा जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूँगा, अर्थात सत्य का आत्मा, जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी ओर से गवाही देगा।

    जॉहन 15:26

  • और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ हो

    जॉहन 15:27

जब जीसस ने हमेशा के लिये दूर चले जाने को कहा, उनके शिष्य बहुत ज्यादा उदास हो गये। उन्होंने उनसे दूर न जाने के लिये तर्क किये। इस पर जीसस ने जवाब दिया:

  • तो भी मैं तुमसे सच कहता हूँ कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आयेगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा तो मैं उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा”

    जॉहन 16ः7

  • यह स्पष्ट है कि जीसस केवल सहायक के आने के बारे में ही नहीं बोल रहे थे बल्कि सहायक के आगमन हेतु दुनियाँ को तैयार कर रहे थे। गुरू सियाग के साथ बाइबल की भविष्यवाणियों की क्या सम्बद्धता है? ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। इस बारे में जीसस बाइबल में क्या कहते हैं जब उत्सुक शिष्य जब यह जानने के लिये शान्त हो जाते हैं कि जब सहायक आयेगा तो विश्व उसे कैसे पहचानेगा।

चेतावनी-जीसस ने पहले चेतावनी दी कि उस समय बहुत से झूठे धोखेबाज उठ खड़े होंगे और ईश्वर द्वारा भेजे गये सहायक होने की घोषणा करेंगे।

  • और जब वह जैतून के पेड़ पर बैठा था तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हमसे कह कि यह बातें कब होंगी? और तेरे आने का और जगत के अन्त का (युग परिवर्तन का) क्या चिन्ह होगा?

    मैथ्यू 24ः3

  • और यीशु ने उनको उत्तर दिया, सावधान रहो कोई तुम्हें न भरमाने पाये

    मैथ्यू 24ः4

  • क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे कि मैं मसीहा हूँ और बहुत सों को भरमायेंगे
  • और बहुत से झूठे भविष्यवक्ता उठ खडे होंगे और बहुतों को भरमायेंगे

    मैथ्यू 24ः11

  • उस समय यदि कोई तुमसे कहे कि देखो मसीहा यहाँ है या वह है तो प्रतीत न करना

    मैथ्यू 24ः23

  • क्योंकि झूठे मसीहा और झूठे भविष्यवक्ता उठ खडे होंगे, और बडे चिन्ह और अद्भुत काम दिखायेंगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें

    मैथ्यू 24ः24

  • देखो, मैंने पहले से तुमसे यह सब कुछ कह दिया है

    मैथ्यू 24ः25

कब: जैसे ही चेले शान्त हुए यह जानने के लिये कि सहायक कब आयेगा? यीशु ने उसके आने के सही समय की भविष्यवाणी करने में यह कहते हुए असमर्थता व्यक्त की

कब- जैसे ही चेले शान्त हुए यह जानने के लिये कि सहायक कब आयेगा? यीशु ने उसके आने के सही समय की भविष्यवाणी करने में यह कहते हुए असमर्थता व्यक्त की

  • “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र परन्तु केवल पिता”,

मृत्यु के बाद 40 दिन तक यीशु की आत्मा मृत्यु लोक में घूमती रही। वह आत्मा 40 दिन तक अपने चेलों से मिलकर परमेश्वर के राज्य की बातें करती रही। चालीसवें दिन उनसे मिलकर आज्ञा दी कि:

  • “यरूशलम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो।

  • क्योंकि यूहन्ना (सैंट जॉहन) ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है, परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से (में) बपतिस्मा पाओगे।” (एक्ट ऑफ एपोस्टल्स 1ः4-5)

यहाँ पवित्रात्मा से यीशु का मतलब सहायक से है जो उसके बाद आयेगा तथा लोगों को बपतिस्मा देगा। यहाँ शब्द “Not many days hence”का स्पष्ट अर्थ है कि

  • दो दिन से अधिक नहीं” क्योंकि तीन दिन होते ही many days हो जाते हैं। “Not many days hence” के अनुवाद का मतलब परमात्मा के दिनों से है, अगर उसका शब्दशः अर्थ लगाया जाता है तो यीशु की भविष्यवाणी भौतिक बन जाती है जो नहीं हो सकती। यीशु, ईश्वर का पुत्र झूठ कभी नहीं बोल सकता। इसलिये यीशु ने स्पष्ट भविष्यवाणी की है कि “आकाश और पृथ्वी टल जायेंगे, मेरी बातें कभी न टलेंगी

    इंजील, सैंट मैथ्यू 24ः35

जब यीशु कहते हैं कि “Not many days hence” यह भविष्यवाणी यीशु ने नश्वर शरीर को त्यागने के बाद आत्मभाव से की है (अतः इसका अर्थ ईश्वर के समय के अनुसार ही लगाया जा सकता है) जिसका वर्णन सेन्ट पीटर द्वितीय में किया गया है

  • हे प्रियो यह बात तुमसे न छिपी रहे कि प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं

    3ः8

निष्कर्ष

इस प्रकार यीशु की उपर्युक्त भविष्यवाणी के अनुसार मृत्यु लोक के प्रथम एक हजार वर्ष पूर्ण होने पर ईश्वर का एक दिन पूर्ण होता है, जब मृत्यु लोक के दो हजार वर्ष पूर्ण हो जायंगे तो ईश्वर के दो दिन पूर्ण होकर तीसरा दिन प्रारम्भ हो जायेगा। अतः 20वीं सदी के अन्त से पहले प्रकट होकर अगर वह सहायक यदि आध्यात्मिक शक्तिपात दीक्षा नहीं देता, तो यीशू की आत्मभाव से की गई भविष्यवाणी “Ye shall be baptized with the Holy Ghost not many days hence” असत्य प्रमाणित होती, लेकिन गुरुदेव सियाग ने 20वीं सदी के उत्तरार्ध में ही शक्तिपात दीक्षा देना प्रारम्भ कर दिया है, जो यीशु की भविष्यवाणी के अनुसार है।

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