बाइबल में भविष्यवाणियाँ के अर्थ

उन भविष्यवाणियाँ का अर्थ पढ़ें जो बाइबल में उल्लिखित हैं

द्वैतवाद

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छंद और उनके अर्थ

दक्षिणी पश्चिमी एशिया के यहूदी तथा अरबी धर्म के अनुयाइयों का विश्वास है कि ईश्वर तथा उसकी रचना ‘मनुष्य’ दोनों का अलग-अलग अस्तित्व है यह द्वैत वाद कहलाता है क्योंकि यह ईश्वर तथा मनुष्य अलग-अलग हैं, यह सच है, ऐसा मानते हैं। इस धर्म के मानने वाले इस विचार को कि मनुष्य, ईश्वर बन सकता है, मान ही नहीं सकते।

पुनः जन्म लेना होगा

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जब जीसस ३० वर्ष के थे, लम्बे समय तक उनकी अनुपस्थिति के बारे में बाइबल मौन है, लेकिन जब काफी समय के अज्ञातवास के बाद जीसस पुनः प्रकट हुए तो उन्होंने परमेश्वर के राज्य को देखने के लिए मनुष्य को पुनः जन्म लेने की आवश्यकता के बारे में उपदेश देना आरम्भ किया।“यीशु ने स्पष्ट शब्दों में कहा, यदि कोई नये सिरे से न जन्में तो परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता”।
(जॉहन ३:३)

लम्बे अन्तराल के बीच जीसस कहाँ थे?

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गुरू सियाग कहते हैं कि पश्चिम में ईसाई धर्म के अनुयायी जब सिद्धयोग के अनुसार ध्यान करना आरम्भ करेंगे तो वे जान जायेंगे कि जीसस की अपने आसपास के वातावरण से लम्बी अनुपस्थिति के पीछे सच्चाई क्या है। इन ध्यान सत्रों के दौरान जीसस के अनुयायी विजन्स (दृश्य) देखेंगे जिनसे यह सच्चाई प्रकट होगी कि जीसस कहाँ थे और किसमें व्यस्त थे।

दिव्य आशीर्वाद (आनंद)

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बाइबल में आनन्द के विषय में इस प्रकार लिखा है:
“यह एक आन्तरिक आनन्द है, जो सभी सच्चे विश्वासियों के हृदय में आता है। यह आनन्द हृदय में बना रहता है, सांसारिक आनन्द के समान यह आता जाता नहीं है। उसका (प्रभु का ) आनन्द पूर्ण है, वह हमारे हृदयों के कटोरों को आनन्द से तब तक भरता है, जब तक उमड न जाय। प्रभु का आनन्द जो हमारे हृदयों में बहता है, हमारे हृदयों से उमडकर दूसरों तक बह सकता है”।

भगवान कृष्ण ने भगवत गीता में इस दिव्य आनन्द की बारीकी से इस प्रकार व्याख्या की है:
“बाहर के विष्यों में आसक्तिरहित अन्तःकरण वाला पुरूष अन्तःकरण में जो भगवत ध्यान जनित आनन्द है उसको प्राप्त होता है (और) वह पुरूष सच्चिदानन्दधन परब्रह्म परमात्मारूप योग में एकीभाव से स्थित हुआ अक्षय आनन्द को अनुभव करता है”।
(गीता ५:२१)

विश्व के लोग मसीहा को चेलेंज करेंगे

जीसस ने अपने शिष्यों को सही मसीहा की पहचान के लिये जो चिन्ह बतलाये थे, यद्यपि गुरुदेव सियाग उनमें से प्रत्येक बात का उत्तर देते हैं फिर भी वह अच्छी तरह से जानते हैं कि आज का विश्व भौतिक वृत्तियों के हावी होने के कारण, उन्हें ऐसे ही आसानी से स्वीकार नहीं करेगा, देवत्व का सबूत माँगेगा।

दुनिया संदेह से परे देवत्व के प्रमाण की मांग करेगी। बाइबल ने यह भी सोचकर जब यह कहा :

  • क्या वह इस आदमी से दूसरी भाषा में तथा हकलाती हुई बोली में बोलेगा ।

    यशायाह २८:११

  • उसने किससे कहा, यह आराम है जिससे वह थकान को दूर कर सके, और यह ताजगी भरा है, फिर भी वह नहीं सुनेगा ।

    यशायाह २८:१२

  • अन्धे व्यक्ति को आगे लाओ जो आँखें रखता है तथा बहरे को जो कान रखता है ।

    यशायाह ४३:८

  • नियमों में यह लिखा है क्या दूसरी भाषा तथा बोली के लोगों के साथ मैं इन लोगों को बोलूँगा और फिर भी सबके लिये क्या वे मुझे नहीं सुनेंगे, परमेश्वर ने कहा ।

    १ कुरिन्थियों १४:२१


जैसी बाइबल द्वारा भविष्यवाणी की गई थी, गुरू सियाग की अब तक की आध्यात्मिक यात्रा धार्मिक बातों पर विश्वास न करने वाले नास्तिकों के साथ क्लेशों तथा परीक्षाओं से भरी हुई रही है जो निगाह के सामने स्पष्ट सबूतों के बावजूद उनकी दिव्य शक्तिओं के बारे में शक कर रहे हैं। फिर भी वे घबराये हुए नहीं हैं। क्योंकि उन्हें विश्वास है अन्ततः ईश्वर का कार्य किया जायेगा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें कितनी भी कठोर परीक्षाओं से क्यों न गुजरना पड़े। वह कहते हैं:

मुझे परमात्मा में पूर्ण विश्वास है कि वह मुझे सफलता प्रदान करेंगे” इसलिये उसी आदेश पर जो सर्वोच्च शक्ति ने दिया।
अपना कारण प्रस्तुत करो, परमेश्वर ने कहा, अपने सशक्त कारण सामने लाओ जैकोव के राजा ने कहा ।

यशायाह ४१:२१

मैने अपना पक्ष दुनियाँ के आगे रखा है। मैं आशा करता हूँ कि सभी बुद्धिमान एवं सच्चे धार्मिक लोग मेरे कथनों की बारीकी से जांच करेंगे और विश्व में पूर्ण धार्मिक क्रान्ति लाने में मदद करेंगे, जिससे पृथ्वी पर स्थायी शान्ति स्थापित हो।

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