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सेंट जाॅन के प्रकाशित वाक्य
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

'बाइबल का यह आखिरी हिस्सा वास्तव में बाइबल का प्राण है। सेंट जाॅन एक बहुत बड़े महान् संत थे। वे यीशु के मुक्तिदाता सद्‌गुरु थे। जिस प्रकार हमारा इतिहास बताता है कि भगवान् श्री राम और श्रीकृष्ण को भी गुरु धारण करने पड़े थे। उनके गुरु अच्छी प्रकार जानते थे कि ये कोई साधारण मानव नहीं हैं, फिर भी उन्हें शिक्षा-दीक्षा दी। इसी प्रकार सेंट जाॅन को भी मालुम था कि यीशु कौन था, परन्तु फिर भी उसने यीशु को दीक्षा दी। क्यों कि गुरु द्वारा दीक्षा प्राप्त किये बिना मनुष्य "द्विज" नहीं बनता और द्विज बने बिना उस परमतत्त्व से नहीं जुड़ सकता और न ही उस दिव्य ज्ञान को पाने का अधिकारी बनता है। इसी प्रकार अगर यीशु सेंट जाॅन से दीक्षा नहीं लेता तो वह कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं होता।

  • ईसाइयों में आज भी सेंट जाॅन द्वारा दी जाने वाली 'पानी की दीक्षा' प्रचलित है, क्योंकि यीशु दीक्षा (बपतिस्मा) नहीं देता था। उसे मालुम था कि जो दीक्षा मैं दूंगा, उसे इस समय मानव सहन नहीं कर सकेगा।इसीलिए उसने कहा था, "मुझे तुमसे बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।" यीशु ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि द्विज बने बिना उस परमतत्त्व को प्राप्त होना असम्भव है। उसने कहा है, कि "यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।"

  • प्रकाशित वाक्य में कहा है, "यीशु मसीह का प्रकाशित वाक्य, जो उसे परमेश्वर ने इसलिए दिया, कि अपने दासों को वे बातें, जिन का शीघ्र होना अवश्य है, दिखाएँ और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना (सेंट जाॅन) को बताया"। जो भविष्यवाणियाँ बाइबल में की गई हैं उन सबको, मूर्तरूप से घटने से पहले ही दिखाया गया है। इससे यह प्रमाणित होता है कि जो बात हमारा दर्शन कहता है कि अनिश्चितकाल तक के भूत-भविष्य को देखना सुनना सम्भव है, पूर्ण सत्य है। पश्चिम को यह ज्ञान 20 वीं सदी के अन्त में मिलेगा, बाइबल की भविष्यवाणियों का मात्र यही अर्थ है। इसीलिए यीशु मसीह ने भविष्यवाणी की है कि "थोड़े दिनों बाद तुम पवित्रात्मा से (में) बपतिस्मा (दीक्षा) पाओगे।"

  • धार्मिक ग्रन्थों के उपदेश 'पश्यन्ति वाणी' में दिये जाते हैं, परन्तु ज्ञानी संत पश्यन्ति वाणी समझ सकते हैं, आमजन नहीं। इसलिए उस ज्ञान को वैखरी वाणी में लिख कर संसार के सभी मनुष्यों के लिए छपवा देते हैं। पश्यन्ति वाणी ध्वनिरूप शब्दों वाली "वैखरी-वाणी" से और भावात्मक विचार-मयी वाणी से भी विलक्षण स्वात्मविमर्शमयी अनुभूति-रूपीवाणी है, जिसे भौतिक भाषा में 'उद्बुद्व करना"(Inspiration)कहा जाकर समझाने का प्रयास, कहा जा सकता है। इसीलिए सेंट जाॅन ने जगह-जगह कहा है, "मैं प्रभु के दिन आत्मा में आ गया, मैं आत्मा में वहाँ गया इत्यादि। पश्चिमी जगत् के लोग मात्र वैखरी वाणी ही समझते हैं, इसलिए वे अपरा विद्या के ही ज्ञाता है, क्योंकि अपरा विद्या का ज्ञान वैखरी वाणी में लिखा जाता है। बाइबल के कई संदर्भ ऐसे भी है जिनका सही अर्थ अन्तर्मुखी होकर ही समझा जा सकता है, और यह कार्य पश्चिम के लोगों के सामर्थ्य से बाहर है।

इस संबंध में मुझे एक बात याद आ गई। बाइबल की भविष्यवाणियों की प्रत्यक्षानुभूति के संबंध में, मैंने भारत स्थित कई संस्थाओं से संपर्क किया था। मैंने उन्हें बाइबल में वर्णित आनन्द के बारे में पूछा था, जिसका वर्णन इस प्रकार है- "यह एक आन्तरिक आनन्द है, जो सभी सच्चे विश्वासियों के हृदय में आता है, यह आनन्द हृदय में बना रहता है, सांसारिक आनन्द के समान यह आता-जाता नहीं है। उसका (प्रभु का) आनन्द पूर्ण है, वह हमारे हृदयों के कटोरों को आनन्द से तब तक भरता है, जब तक उमड़ न जाए। प्रभु का आनन्द जो हमारे हृदयों में बहता है, हमारे हृदयों से उमड़ कर दूसरों तक बह सकता है।" मुझे दिल्ली की एक संस्था ने कुछ सामग्री भेजी, जिसमें कटोरों के चित्र बनाकर आनन्द के उमड़ने की बात समझाई गई थी। उसे देखकर मुझे बहुत हँसी आई, और साथ में उन लोगों के अल्प ज्ञान पर तरस भी आया।
  • मैं प्रकाशित वाक्य की चन्द बातें जो सेंट जाॅन ने पश्यन्ति वाणी में सुनी थी, यथावत लिख रहा हूँ। क्या ईसाई जगत् इनकी सही व्याख्या करके प्रमाणित करने की स्थिति में है? मैं अच्छी प्रकार समझ रहा हूँ कि यह कार्य अन्तर्मुखी हुए बिना असंभव है। सेंट जाॅन ने लिखा है- "मैं यीशु की गवाही के कारण पतमुस नामकटापू में था। कि मैं प्रभु के दिन आत्मा में आ गया और अपने पीछे तुरही का सा बड़ा शब्द यह कहते हुए सुना कि जो कुछ तू देखता है उसे पुस्तक में लिखकर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे।" जब तक अन्तर्मुखी होकर उस परमसत्ता से नहीं जुड़ते बाइबल के ऐसे संदर्भ समझ में आ ही नहीं सकते।

  • प्रकाशित वाक्य 1:16- वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिए हुए था; और उसके मुख से दोधारी तलवार निकलती थी, और उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था; जैसा सूर्य कड़ी धूप में चमकता है।

  • प्रकाशित वाक्य 2.11 - जिसके कान हो वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है; जो जय पाए, उनको दूसरी मृत्यु से हानि न पहुँचेगी।

प्रकाशित वाक्य 2:16 - सो मन फिरा, नहीं तो मैं तेरे पास शीघ्र ही आकर, अपने मुख की तलवार से उनके साथ लड़ूंगा।
  • प्रकाशित वाक्य 2:17 - जो जय पाए, उसको मैं गुप्त मन्ना में से दूंगा, और उसे एक श्वेत पत्थर भी दूंगा, और उस पत्थर पर एक नाम लिखा हुआ होगा, जिसे उसके पाने वाले के सिवाय और कोई नहीं जानेगा।

  • प्रकाशित वाक्य 2:27 - और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बरतन चकनाचूर हो जाते हैं जैसे कि मैंने भी ऐसा अधिकार अपने पिता से पाया है।

  • प्रकाशित वाक्य 3:4 - पर हाँ, सरदीस में तेरे यहाँ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपने वस्त्र अशुद्ध नहीं किये, वे श्वेत वस्त्र पहिने मेरे साथ घूमेंगे, क्योंकि वे इस योग्य हैं।

  • प्रकाशित वाक्य 3:20 - देख ! मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ, यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ।

  • प्रकाशित वाक्य 7:2 व 7:3 - फिर मैंने एक स्वर्ग दूत का जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा उसने उन चारों स्वर्गदूतों से, जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्द से पुकार कर कहा- जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें तब तक पृथ्वी, समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।

  • प्रकाशित वाक्य की केवल उपर्युक्त बातें ही अलौकिक नहीं, इसका तो सम्पूर्ण भाग ही प्रत्यक्षानुभूति और साक्षात्कार का विषय है। इस पवित्र ग्रन्थ में विश्वास रखने वाले सभी पवित्र आत्मावाले लोगों को 20 वीं सदी के अंत से पहले बाइबल के सम्पूर्ण रहस्य की प्रत्यक्षानुभूति एवं साक्षात्कार हो जाएगा, क्योंकि वह पवित्रात्मा यीशु इसकी भविष्यवाणी कर गया है।

  • मैं पश्चिम के लोगों से आग्रह पूर्वक कहना चाहूँगा कि धनबल के सहारे विश्व के गरीब लोगों का शोषण किया जा रहा है, उस पर युग परिवर्तन के इस संधिकाल में पुनर्विचार करें, ऐसा न हो कि फिर पछताना पड़े। मैं उन्हें बाइबल के निम्न संदर्भो पर रात-दिन चिन्तन करने की सलाह देता हूँ। हो सकता है प्रभु की कृपा हो जाए।

  • सेंट मैथ्यु 19:23 व 24 - तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, मैं तुमसे सच कहता हूँ कि धनवान का, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है। फिर तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से, ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है। इस संबंध में मैं प्रभु से सद्बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना ही कर सकता हूँ।

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