
बाइबिल
7 अक्टूबर 1997
बीकानेर
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक
बाइबल एक भविष्यवाणियों का ग्रन्थं है। इसमें सृष्टि उत्पत्ति से लेकर मनुष्य के पूर्ण विकास तक की भविष्यवाणियाँ है। बाइबल की सभी भविष्यवाणियाँ बहुत ही आश्चर्य पूर्ण ढंग से भौतिक जगत् में पूर्ण सत्य प्रमाणित हो रही हैं। परन्तु बाइबल अनुग्रह के युग के संबंध में कुछ नहीं जानती।
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जिस सहायक को बुलाने की भविष्यवाणी यहोवा ने पुराने नियम में कही है, उसे ही यीशु तथा बाइबल के विभिन्न संतों ने दोहराया है। अनुग्रह के युग में सम्पूर्ण मानव जाति का उद्धार होगा, जिसका वर्णन बाइबल में प्रेरितों के कार्य 2:16 से 19, 1 कुरन्थियों 12:13, गलतियों 3:28 तथा कुलुसियों 3:11 में स्पष्ट शब्दों में किया गया है। इस संबंध में बाइबल कहती है कि इतना बड़ा उद्धार पहले किसी युग में उपलब्ध नहीं था, और न ही इसके बाद कभी उपलब्ध होगा।
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बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार यीशु के पुनरागमन तक का युग व्यवस्था का युग था। जिस तीसरी शक्ति के प्रकट होने की भविष्यवाणी बाइबल करती है, जब वह प्रकट होकर पवित्रात्मा से बपतिस्मा( दीक्षा) देने लगेगा, जिसका वर्णन प्रेरितों के कार्य 1:4 व 5 में किया है, तब व्यवस्था का युग समाप्त होकर, अनुग्रह का युग प्रारम्भ हो जावेगा। इस अनुग्रह के कारण सम्पूर्ण मानव-जाति का जो उद्धार होगा, उसे बाइबल के संत और भविष्यवक्ता बिलकुल नहीं समझ सके। इब्रानियों 11:13 , ल्युक 10:21 से 23 तक के अनुसार इस बड़े उद्धार को संतों और भविष्यवक्ताओं ने देखना समझना चाहा, परन्तु वे इसे न देख सके और न ही समझ सके। उन्होंने दूर से देखकर इस बड़े उद्धार के बारे में भविष्यवाणी की थी। उन पर इस उद्धार का भेद प्रकट नहीं किया गया था। इफिसिया 3:1से 16, 1 पीटर 1:10 से 12 बाइबल के अनुसार स्वर्ग के देवता भी उस बड़े उद्धार के बारे में कुछ भी नहीं समझ सके। इसलिए वे भी इसे देखने की लालसा रखते हैं।
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यही कारण है कि ईसाई जगत् के पंडित बाइबल के विभिन्न अंशों को एक साथ मिलाकर अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार अर्थ निकाल रहे हैं। परन्तु मनुष्य लाखों बौद्धिक प्रयास से भी सत्य को प्रकट होने से नहीं रोक सकेगा। आज संसार में लगभग विश्वास का अभाव हो चला है। ऐसी स्थिति विश्व की पहले कभी नहीं हुई। आज सम्पूर्ण विश्व में तामसिक वृत्तियों का साम्राज्य है। विश्व की यह स्थिति स्पष्ट करती है कि अब विश्व में शांति केवल धार्मिक क्रान्ति से ही संभव है।