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अवतारवाद हिन्दू एवं ईसाई दर्शन के अनुसार
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

यीशु ‘स्त्री का पुत्र’ था और पुनरागमन ‘पुरुष के पुत्र’ के रूप में होगा।

  • 1.

    गलाटियन्स 4:4 में कहा गया है- "परन्तु जब समय पूरा हुआ तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, ‘जो स्त्री से जन्मा’ और व्यवस्था के अधीन उत्पन्न हुआ। तथा

  • 2.

    मैथ्यु 24:27 में कहा गया है- "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है वैसे ही ‘मनुष्य के पुत्र’ का भी आना होगा।"

  • उपर्युक्त में ‘स्त्री का पुत्र’ और ‘पुरूष का पुत्र’ दो बहुत ही रहस्यमयी शब्दों का प्रयोग किया गया है। बाइबिल पिता और पुत्र दो परमतत्त्वों के शक्ति का विस्तार है। इस प्रकार स्त्री तत्त्व के रूप में पुत्र जन्मा और पिता, ‘पुरुष’ तत्त्व के रूप में जन्मेगा। यह बात बहुत ही रहस्यपूर्ण है।

हिन्दू धर्म अवतारवाद में विश्वास करता है। हिन्दू दर्शन के अनुसार ‘दस अवतार’ होते हैं। दसवें अवतरण के साथ ही मानवजाति त्वरित क्रमिक विकास के साथ पूर्णता की ओर तेजी से विकसित होने लगेगी।

- समर्थ सद्‌गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग

  • हिन्दू दर्शन के अनुसार नौ अवतारों का अवतरण हो चुका है। (1) मत्स्यावतार (2) कच्छप अवतार (3) वाराह अवतार (4) नरसिंह अवतार (5) मनु (6) वामन (7) परशुराम (8) श्रीराम (9) श्रीकृष्ण। इस प्रकार अब अन्तिम अवतार के अवतरण के साथ ही मानव का अन्तिम विकास अर्थात् दिव्य रूप में रूपान्तरित होने का क्रमिक विकास प्रारम्भ हो जाएगा।

  • बाइबिल भी मानव के इस दिव्य रूपान्तरण के संबंध में कहती है-

  • 1.

    नीतिवचन 4:18 - ‘‘परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिनका प्रकाश दोपहर तक अधिक-अधिक बढता रहता है।’’

  • 2.

    दानियेल 12:3 - "तब" सिखाने वालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा तारों की नाई प्रकाशमान रहेंगे।

  • 3.

    मैथ्यु 13:43 उस समय धर्मी अपने "पिता के राज्य" में सूर्य की नाई चमकेंगे, जिसके कान हों वह सुन ले।

  • 4.

    2 कुरिन्थियों 3:18- परन्तु जब हम सबके उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रकट होता है, जिस प्रकार दर्पण में तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में ‘अंश-अंश’ करके बदलते जाते हैं।

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