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सत्य का आत्मा या अधिमानसिक देव
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धान्त है। जब सत्य-युग नहीं रहा, त्रेता-युग नहीं रहा, द्वापर-युग नहीं रहा, तब एक चरण का छोटा सा कलियुग कैसे रह सकेगा?

    भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता के चौथे अध्याय के 5 वें श्लोक में कहा है-

  • बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।
    तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ।। (4:5)

    “हे अर्जुन! मेरे और तेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं, हे परंतप ! उन सब को तू नहीं जानता है (और) मैं जानता हूँ।’’ भगवान् श्रीकृष्ण ने स्पष्ट शब्दों में कहा है, “हर युग में, जब पाप बहुत अधिक बढ़ जाता है, तब मैं अवतार लेता हूँ।’’ इस प्रकार भगवान् के पृथ्वी से अन्तर्धान होने के साथ ही युग बदल जाता है। यह सत्य बीते हुए युगों से सत्य प्रमाणित होता है।

  • इसी प्रकार इस युग की समाप्ति की बात वह महान् आत्मा यीशु भी कर गया है। उसने भी कहा है कि मैं पिता की ओर से एक सहायक और भेजूंगा, जिसकी उत्पति सीधी पिता से होगी। जब वह आवेगा तो यह युग समाप्त हो जावेगा। यीशु की भविष्यवाणियों के अनुसार उस सहायक का प्रकटीकरण इस 20वीं सदी के अन्त से पूर्व ही होगा। इस सम्बन्ध में सैंट जॉहन के 15:26 और 16:7 से 15 में कहा है- "परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात् सत्य का आत्मा, जो पिता की ओर से निकला है तो वह मेरी गवाही देगा। तो भी मैं तुम से सच कहता हूँ कि मेरा जाना तुम्हारे लिए अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा। और वह आकर संसार को पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुतर (कायल) करेगा। पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते। धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ, और तुम मुझे फिर न देखोगे। न्याय के विषय में इसलिए कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है। मुझे तुमसे और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब ‘वह’ अर्थात् ‘सत्य का आत्मा’ आयेगा तो तुम्हे सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा और आने वाली बातें तुम्हें (दिखाएगा) बताएगा। वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें (दिखाएगा) बताएगा। जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है, इसीलिए मैंने कहा कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें (दिखाएगा) बताएगा।"

  • यीशु ने एक ऐसा पक्का प्रमाण दिया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि वह भी भक्त शिरोमणि करमाबाई की तरह महान् प्रेम-मार्गी भक्त था। इस सम्बन्ध में सेंट मार्क 9:2 से 4 में कहा है- "छह दिन के बाद यीशु ने पतरस, याकूब और यूहन्ना को साथ लिया, और उनको एकान्त में किसी ऊँचे पहाड़ पर ले गया, वहाँ पर उनके सामने उसका (यीशु का) रूप बदला गया। उसका वस्त्र ऐसा चमकने लगा और ऐसा उज्ज्वल हुआ जैसा पृथ्वी पर कोई भी धोबी वैसा उज्ज्वल नहीं कर सकता। और उन्हें मूसा के साथ एलिय्याह दिखाई दिया, और वे यीशु के साथ बातें करते थे।" इससे यह तथ्य प्रमाणित होता है कि मलाकी भविष्यवक्ता का एलिय्याह नबी, उस समय का यीशु नबी और भूतकाल का मूसा नबी एक शक्ति थी। मेरे इस कथन का अर्थ मात्र आध्यात्मिक व्यक्ति ही ठीक तरह से समझ सकेंगे।

  • युग परिवर्तन की भविष्यवाणी करते हुए यीशु ने कहा है- “विश्व में चर्च के नाम से एक पत्थर पर दूसरा पत्थर नहीं मिलेगा। सैंट मथ्यु 24:2-3 में कहा है- "उसने उनसे कहा, क्या तुम यह सब नहीं देखते? मैं तुम से सच कहता हूँ, यहाँ (चर्च के स्थान पर) पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।" जब उसके चेलों ने उससे पूछा कि तेरे आने और युग के अन्त (युग बदलने )का क्या चिह्न होगा, तब उसने संसार में आगे होने वाले परिवर्तनों का वर्णन किया।

महर्षि श्री अरविन्द ने "अधिमानसिक देव" के अवतरण की घोषणा करते हुए कहा है -
24 नवम्बर 1926 को श्री कृष्ण का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।

- महर्षि श्री अरविन्द

महर्षि ने इसी संदर्भ में कहा है कि मानव रूप में प्रकट हुई वह शक्ति अपने क्रमिक विकास के साथ अतिशीघ्र विश्व के सामने प्रकट हो जावेगी।

  • आश्चर्य देखो, संसार में कितना पाप बढ़ गया है कि विश्व के लोगों को आज भी विश्व के संतों की भविष्यवाणियों का बिलकुल ही विश्वास नहीं हो रहा है जबकि प्रकृति अपना कार्य प्रारम्भ कर चुकी है।

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