Image हीराराम गोदारा

हीराराम गोदारा

अकारण भय व मानसिक तनाव से मुक्ति

पता

हीराराम गोदारा (अध्यापक) गांव- सांइयों की ढाणी, बायतु (बाड़मेर)

मैंने दिनांक 31 अगस्त, 1995 को सर प्रताप स्कूल, जोधपुर में दीक्षा ली, उसी दिन ध्यान के दौरान मानसिक शांति मिली जो कई दिनों तक बनी रही। ध्यान करने पर प्राणायाम स्वतः शुरू हो गए। कब्जीयत, गैस, मन घबराना, गर्मी व ठण्ड सहन न होना, अवसाद, अकारण भय आदि रोगों से पीड़ित था इसलिए मेरा एक तरह से सामाजिक विकास रुक गया था।

  • लेकिन गुरुदेव से दीक्षा लेने के पश्चात नाम जप व ध्यान से एक महासुख शांति की अनुभूति हुई। जो भी मिलता उनको इस घटना या गुरूजी के बारे में उत्सुकतावश, आनन्दवश, प्रेमवश बिना पूछे ही बता रहा था। मैंने पहले भारतीय दर्शन की कई पुस्तकें पढ़ीं जैसे:- रामायण, गीता, कल्याण, स्वामी रामसुखदासी जी के प्रवचन, अखण्ड-ज्योति, ओशो साहित्य, कबीर, साधु-संतों, जैन दर्शन आदि। उसमें बताए मार्गों पर चलने का प्रयास किया, लेकिन सबने साधक को प्रमुख मानते हए विश्वास पर बल, तपस्या पर बल, देने को कहा। यथा सम्भव कोशिश भी की लेकिन कभी शांति मिलेगी ऐसी आशा ही रही, मिली नहीं।

  • सन् 1994 में जोधपुर आश्रम में “सवितादेव-संदेश" नाम से मासिक अखबार प्रकाशित होता था। मेरे छोटे भाई उम्मेदाराम ने मुझे वह प्रति लाकर दी। उसमें जिस परम परिवर्तन की बात लिखी थी, लोगों की अपनी-अपनी अनुभूतियाँ का वर्णन था, उनको पढ़ा। लेकिन पूर्ण विश्वास नहीं हो रहा था फिर भी गुरु कृपा से मैं आधे-अधूरे मन से आया।

गुरुदेव ने कहा अब आप मुझे जहां तिलक लगाते हैं वहां आंख बन्द कर देखो और मानस नाम जपो। बस इतना करते ही दुर्लभ शांति, आनन्द, शरीर का हल्का होना, नाम का अपने आप जप जाना, प्राणायाम शुरू हो गया। बड़ा आश्चर्य हुआ, दिल ने कहा- ऐसे जगत में सत्य, महान विभूति ! आंखों से आंसू बह निकले।
  • गुरुदेव सही समय पर साधारण वेशभूषा में आए। गुरुदेव ने विस्तार से दर्शन की जानकारी देकर समझाया, गुरुदेव ने कहा कि, यदि बिजली फिटिंग की हुई है, यदि एक तार में बिजली है तो दूसरे से जोड़ते ही उसमें बिजली आ जाएगी, बटन दबाते ही प्रकाश हो जाएगा। इतना समय ही चेतन होने में लगेगा।

  • गुरुदेव ने कहा अब आप मुझे जहां तिलक लगाते हैं वहां आंख बन्द कर देखो और मानस नाम जपो। बस इतना करते ही दुर्लभ शांति, आनन्द, शरीर का हल्का होना, नाम का अपने आप जप जाना, प्राणायाम शुरू हो गया। बड़ा आश्चर्य हुआ, दिल ने कहा- ऐसे जगत में सत्य, महान विभूति ! आंखों से आंसू बह निकले।

  • शरीर हल्का होने से गृहस्थ के कार्यों में विशेष मन लगने लगा। स्वप्न में कुछ घटनाएं दिखना तथा तुरन्त ही कुछ दिनों पश्चात घटित होना, दयालु गुरुदेव का स्वप्न में सोते समय अपने हाथ से आज्ञाचक्र पर अपने दाहिने अंगूठे से दबाना, आत्म-विश्वास का बढ़ना, मन का प्रसन्न होना।

  • अब प्रेम के वशीभूत होकर मुझे एक तरह से जबरदस्ती जुड़ाव हो गया। स्मृति हमेशा रहती है, जागृति हमेशा रहती है। मैं एक मामूली साधारण परिवार से हूँ। गुरुदेव से जुड़ने के पश्चात परिवार के हालात में बहुत सुधार हुआ। हर तरह से खुशहाली ही प्राप्त हुई।

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