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महेन्द्र कुमार प्रजापत

गुरुदेव पर दृढ़ विश्वास से प्राणों की रक्षा

पता

महेन्द्र कुमार प्रजापत s/o कोजाराम प्रजापत गाँव कुम्भारा तहसील- भोपागढ़, जिला- जोधपुर

सन् 2006 में जब मैं कक्षा 10 विवेकानन्द छात्रावास भोपालगढ़ में पढ़ रहा था तब वहां गणेशाराम जी जाखड़ ने हमें गुरुदेव के ध्यान के बारे में बताया कि इनके ध्यान से असाध्य बीमारियां एवं सभी प्रकार के नशों से पूर्ण मुक्ति मिलती है, तथा भविष्य में आने वाली घटनाओं को देख सकते हैं। फिर उन्होंने 15 मिनट का ध्यान लगाने को कहा। ध्यान में मेरे शरीर में एकदम कम्पन्न सा महसूस हुआ। 15 मिनट का समय पूरा होने के बाद सामान्य स्थिति में आ गया।

  • उसी दिन से मेरे मन में गुरुदेव के प्रति भाव जाग्रत हुआ कि गुरुदेव की व्याख्या शब्दों में करना मुश्किल ही नही, नामुमकिन है। उसी दिन से गुरुदेव के प्रति मेरा लगाव बढ़ता गया। 6 जून 2008 को मैंने जोधपुर जाकर गुरुदेव से दीक्षा ली, उसी दिन से मैं सुबह -शाम गुरुदेव का ध्यान लगाता रहा।

  • 16 जून 2008 को जब मैं सुबह दही खाकर जैन स्कूल भोपालगढ़ गया तब मेरे को पता नही था कि दही मे छिपकली है। हुआ यह कि दूध गरम करते समय कहीं ऊपर से छिपकली गिर गई। दूध भी लगभग आधा लीटर ही था। छिपकली दही में गलकर रबडी की तरह बन गई। मैंने तो मेरी आवश्यकतानुसार खाया और थोड़ा सा पीछे बच गया।

गुरुदेव की शक्ति प्रतिपल शिष्य के साथ रहती है। हमारी पूर्ण आस्था केवल गुरुदेव पर है, समस्या आती है तो गुरुदेव का नाम लेते हैं तो समस्या का समाधान हो जाता है। हर समय गरुदेव की दिव्य शक्ति हमारी रक्षा करती है।
  • जब मैं स्कूल पहुंचा तो घर से फोन आया कि चक्कर तो नही आ रहा है मैंने कहा किस बात का चक्कर? घर वालों ने बताया- तू ने दही में छिपकली खा ली, मैंने कहा मेरी रक्षा तो परम् सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग करेंगे।

  • घर आने पर जब मुझे पूर्ण स्वस्थ देखा तब सबकी जान में जान आई। तबसे उनकी श्रद्धा गुरुदेव के प्रति बढ़ गई। इतने भंयकर जहर का असर भी मेरे उपर नहीं हुआ। इससे यह सिद्ध होता है कि मीरा पर जहर का असर क्यों नहीं हुआ।

  • यह एक प्रामाणिक सत्य है इस बात से मुझे इतना आश्चर्य हुआ कि गुरुदेव की शक्ति प्रतिपल शिष्य( साधक )के साथ रहती है। उसकी रक्षा करती है। हमारी पूर्ण आस्था केवल गुरुदेव पर है, समस्या आती है तो गुरुदेव का नाम लेते हैं तो समस्या का समाधान हो जाता है। हर समय गरुदेव की दिव्य शक्ति हमारी रक्षा करती है। उस महान् शक्ति को कोटि-कोटि नमन्, वन्दन व प्रणाम्।

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