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डॉ. श्रवण कोडेचा

मानसिक तनाव से मुक्ति

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डॉ. श्रवण कोडेचा हॉम्योपैथिक चिकित्सक राजकीय चिकित्सालय, बाड़मेर

मैंने 15 फरवरी 2002 को बायतु (बाड़मेर) में गुरुदेव से दीक्षा ली। ये दीक्षा मैंने मेरे बड़े भाई साहब देवीलाल कीडेचा के कहने पर ली थी। मेरी कोई इच्छा नहीं थी, भाईसाहब ने गुरुदेव की बड़ी तस्वीर खरीद कर दे दी और कहा ये तुम्हारे कमरे में रखना, मैंने अनमने मन से तस्वीर ले ली।

  • उस समय मैं बी.एच. एम.एस, द्वितीय वर्ष का विद्यार्थी था, चिकित्सा के क्षेत्र में होने की वजह से मैं इन बातों में विश्वास नहीं करता था। डबोक (उदयपुर) में, मैं कमरा लेकर रहता था। वहां पर C.I.D. के तीन लोग रहते थे। वो गुरुदेव का ध्यान करते थे तथा मैंने भी उनको बताया कि मैंने दीक्षा ले ली है तब उन्होंने कहा आप हर रोज ध्यान करो, मैंने लगभग 15-20 दिन तक ध्यान किया। लेकिन मेरा ध्यान नहीं लगा। फिर मैंने ध्यान लगाना ही छोड़ दिया।

  • जब बाड़मेर आश्रम का शिलान्यास हुआ था, तब गुरुदेव बाड़मेर आये थे, उस दिन मैं भी वहाँ गया, मैंने मन-ही मन गुरुदेव से प्रार्थना की कि यदि आज मेरा ध्यान नहीं लगेगा तो मैं जिन्दगी भर आपका ध्यान न ही लगाऊँगा और न ही किसी को लगाने की सलाह दूंगा।

पहले मुझे भविष्य की बहुत ही चिन्ता होती थी, तथा कोई भी नया काम करने से डरता था। रात को सोता था तो 1-2 घण्टे विचारों में मग्न रहता था। आत्म विश्वास की कमी थी, गुस्सा बहुत आता था, लेकिन ध्यान लगातार करने से मुझे अब किसी भी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं होती है।
  • लेकिन गुरुदेव को मंजूर कुछ और था, जैसे ही गुरुदेव ने कहा अब 15 मिनट का ध्यान लगाओ, तो मैंने गुरुदेव का नाम लेकर आँखें बंद की तो मेरे दोनों हाथों से तालियां बजने लगी तथा पूरा शरीर अलग-अलग तरह से हिलने लगा उस दिन मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा। जैसे ही ध्यान पूरा हुआ तब मैंने गुरुदेव को दिल से मान लिया, तथा उसी दिन से लगातार ध्यान लगा रहा हूँ।

  • पहले मुझे भविष्य की बहुत ही चिन्ता होती थी, तथा कोई भी नया काम करने से डरता था। रात को सोता था तो 1-2 घण्टे विचारों में मग्न रहता था। आत्म विश्वास की कमी थी, गुस्सा बहुत आता था, लेकिन ध्यान लगातार करने से मुझे अब किसी भी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं होती है।

  • गुरुदेव की कृपा से 21 जनवरी 2008 को राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर में होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप में कार्य ग्रहण किया, तथा मेरे पास आने वाले लोगों व मरीजों को, मैं गुरुदेव के बारे में सिद्धयोग के बारे में विस्तृत रूप से बताता रहता हूँ। जो बीमारी हमारे से ठीक नहीं होती है तो मैं उनको गुरुदेव के ध्यान के बारे में बताता हूं। गुरुदेव के चरणों में सादर प्रणाम।

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