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गजेन्द्र कुमार सैन

गुरुदेव के विराट रूप दर्शन

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गजेन्द्र कुमार सैन वरिष्ठ अध्यापक (विज्ञान) निवास 1-डी-11 न्यू हाऊसिंग बोर्ड, पाली मारवाड़ (राज.)

परम पूज्य सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग साहेब की जय, दादा गुरुदेव की जय एवं परम् पूज्य गुरुदेव और दादा गुरुदेव के चरणों में मेरा एवं मेरे परिवार की ओर से शत्-शत् नमन्। मैंने मेरे परिवार के साथ 27 सितम्बर 2007 को गुरुवार के दिन परम् पूज्य सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग साहेब से दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने के बाद हम सभी का दिल एवं आत्मा इतने आह्लादित हो गए जो आज दिन तक कायम है।

  • हम परम पूज्य सांईनाथ भगवान की पूजा-अर्चना किया करते थे तथा सांई नाथ से हमने, सदगुरु जो, हमारे समीप हो, हमारी हर समस्या का निराकरण कर सकें, प्रदान करने अथवा मिलवाने की प्रार्थना की थी जो अतिशीघ्र पूर्ण हो गई। गुरुदेव से दीक्षा लेने के बाद हमें कभी भी एकाकीपन महसूस नहीं हुआ।

  • हमेशा ऐसा लगता है जैसे गुरुदेव हर वक्त हमारे समीप है एवं कोई भी समस्या पैदा होने ही नहीं देते। जिस दिन मैं दीक्षा ग्रहण कर रहा था उसी दिन आश्रम के प्रांगण में ध्यान के दौरान मुझे श्री कृष्ण भगवान के विराट रूप के दर्शन हुए, जिसके बारे में मुझे कभी खयाल भी नहीं आया।

गुरुदेव से दीक्षा लेने के बाद हमें कभी भी एकाकीपन महसूस नहीं हुआ। हमेशा ऐसा लगता है जैसे गुरुदेव हर वक्त हमारे समीप है एवं कोई भी समस्या पैदा होने ही नहीं देते।
  • दीक्षा लेने के बाद घर पहुंचकर गुरुदेव एवं दादा गुरुदेव की तस्वीर को मंदिर (पूजाघर) में स्थापित कर दिया। 28 सितम्बर 07 को प्रातः काल जब मैं ध्यान में बैठा हुआ था, मुझे सांई बाबा के दर्शन हुए जो कृष्ण भगवान में परिवर्तित हो गए उनके हाथ से निकलता हुआ प्रकाश पुंज गुरुदेव के माध्यम से मुझ तक पहुंच रहा था। थोड़ी देर बाद ध्यान में गुरुदेव मंत्रोच्चार के साथ तालियां बजा रहे थे।

  • एक दिन ध्यान में पूज्य गुरुदेव एक गुफा में विराट रूप में खड़े थे उनके आगे अग्नि प्रज्वलित हो रही थी एवं सामने मैं बैठा था। 29 सितम्बर, 07 को सायंकाल ध्यान में उसी गुफा में से घोड़े दौड़कर बाहर आ रहे थे जिनमें से प्रत्येक घोड़े पर पूज्य गुरुदेव विराजित थे। धीरे-धीरे ध्यान परिपक्व होता जा रहा था। 15 अक्टुबर 07 को एक अद्भुत घटना हुई जिसमें मैं कमरे में ध्यान लगा रहा था एवं भूलवश शायद कमरे का दरवाजा खुला था, मेरी पत्नी ज्यों ही कमरे में आई उसे 'ॐ' की गुंजन ध्वनि सुनाई पड़ी एवं कमरे के बाहर कोई आवाज नहीं जबकि मेरे होंठ चिपके हुए थे, मैं कुछ भी नहीं बोल रहा था।

  • इस प्रकार धीरे-धीरे यौगिक क्रियाएँ ' भी शुरू होने लगी । मेरी पत्नी भी लगातार मंत्र जाप एवं ध्यान कर रही है तथा उसके अस्थमा जैसी ही समस्या थी जिससे लगभग छुटकारा मिल चुका है। संक्षिप्त में मैं यही कहना चाहता हूँ कि परम् पूज्य सदगुरुदेव की लीला का जितना बखान किया जाए कम है, इन पृष्ठों में उनकी लीला का गान नहीं गाया जा सकता वो तो स्वयं करके देखने से ही पता चलता है।

  • मेरी तो समस्त गुरुभक्तों से यही विनती है कि आप गुरुदेव की आज्ञानुसार ध्यान लगाते रहें एवं मंत्र जाप शुरू रखें आपकी जीवनचर्या बदल जाएगी। उसमें निखार आएगा एवं आपकी हर समस्या का समाधान स्वतः हो जाएगा। परम् पूज्य गुरुदेव साक्षात् भगवान है उनको पहचानों एवं उनकी आज्ञा का पालन करो।

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