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रमेश अधिकारी

गुरु कृपा से टी. बी. मुक्त हुआ

पता

रमेश अधिकारी तनहूँ दामोली, नेपाल

सर्वप्रथम मेरे हृदय सम्राट कल्कि अवतार समर्थ सदगुरुदेव श्री रामलालजी सियाग के श्री चरणों में अनन्त बार नमन्, वन्दन व प्रणाम । मैं रमेश अधिकारी भारतीय थल सेना में कार्यरत हूँ। मेरे शरीर में तकलीफ होने पर मुझे एम.एच.जामनगर में भर्ती कर दिया व बताया कि आपको टी.बी. की तकलीफ है।

  • मुझे एम. एच. जामनगर से मिल्ट्री अस्पताल सी. टी. सी. पूणे भेज दिया। मेरे मन में खलबली मचने लगी व डर लगने लगा कि यह कैसी बीमारी हो गयी!

मैं लगातार चिन्ता करने लगा। मेरे पास में सोमवीर नाम का लड़का एडमिट था और उसके बेड पर गुरुदेव का फोटो लगा था। सोमवीर ने मुझे गुरुदेव का फोटो व पेम्पलेट पढ़ने को दिया। पेम्पलेट पर मुझे विश्वास नहीं हुआ। फिर शाम को मैं गार्डन में गया तो वहाँ पर गुरुदेव की तस्वीर से लोग (मरीज) ध्यान कर रहे थे और किसी का सिर हिल रहा था व यौगिक क्रियाएँ हो रही थी।
  • यह देखकर मेरे मन में विचार आया कि यह कैसे हो सकता है? फिर मैं रात 9:30 बजे बेड पर जाकर गुरुदेव के बारे में सोचने लगा और अचानक मेरे पैर हिलने लगे तो मैं डर गया व जाकर सोमवीर को बताया तो उन्होंने कहा डरने की जरूरत नहीं है आपका ध्यान लग रहा है फिर शाम को गार्डन में नियमित ध्यान करने लगा। फिर मैंने गुरुदेव की सीडी देखी और मंत्र लिया।

  • ध्यान के दौरान गुरुदेव चलते हुए नजर आते हैं व भगवान् श्री कृष्ण बालपन के रूप में खुली आँखों से गेंद से खेलते हुए नजर आते थे। ध्यान से मुझे शान्ति मिलती है और मेरा मन मजबूत हो गया है।

  • पहले मुझे बहुत चिन्ता रहती थी; अब एकदम चिन्ता गायब - हो गयी और ध्यान में मुझे स्वतः प्राणायाम होने लगता है। मुझे टी बी से गुरुदेव ने मुक्ति दिला दी। मेरी आँखों के सामने इस अस्पताल में सैकड़ों लोग बीमारी से मुक्त हो चुके हैं और गुरुदेव का ध्यान कर रहें हैं।

  • मेरा तो यही कहना है कि समस्त समस्याओं से मुक्त होकर असली आनन्द चाहते हो तो गुरुदेव का ध्यान, नाम जप व प्रचार-प्रसार करो, सब कुछ मिलेगा; इसमें तनिक भी सन्देह नहीं। मैंने इस चीज को परख कर जाना है। मेरे लिए तो गुरुदेव ही भगवान् है, कृष्ण है व तारणहार है अन्य कोई नहीं। - जय गुरुदेव, जय कल्कि अवतार।

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