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राणाराम लुहार

गठिया ठीक हुआ - भोपों से मिली मुक्ति

पता

राणाराम लुहार गांव कालीबेरी बैजनाथ रोड़, सूरसागर, जिला जोधपुर

मैंने 14 जनवरी 2000 को पूज्य गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग से शक्तिपात-दीक्षा ली। पहले मैं गठिया रोग से पीड़ित था। हॉस्पीटल में इलाज भी कराया, डॉक्टरों ने मुझे कहा कि आजीवन दवाईयाँ लेनी पड़ेगी।

  • मैं इस बात से घबरा गया, लेकिन इलाज चालू रखा। फिर भी स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया। किसी ने कह दिया कि आपके पितृ दोष है, देवता रूष्ट हो गये हैं। आप तांत्रिक के पास जाओ तो वह ठीक कर देगा। मैं परेशान तो था ही उसके बाद मैंने तांत्रिकों के चक्कर काटना शुरू किया। कई वर्षों तक गया, लेकिन कोई ईलाज नहीं हुआ।

  • एक बार देव संयोग से मेरा सम्पर्क - श्री शंकरलाल टेलर से हुआ। वह गुरुदेव के शिष्य हैं, उन्होंने बोला कि, "यदि आपको ठीक होना है तो आप हमारे गुरुदेव का ध्यान करो।" मैं परेशानी में तो था ही अतः मैंने ध्यान करना स्वीकार कर लिया, लेकिन उस समय कोई दीक्षा का कार्यक्रम नहीं था, इसलिए उन्होंने मुझे एक अखबार की कटिंग से, गुरुदेव का फोटो दिया, जिस पर मैंने ध्यान लगाना शुरू किया।

गुरुदेव की कृपा से आज मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ। जीवन पूरी तरह सात्विक बन गया है। गुरुदेव और दादा गुरुदेव दोनों ही हर समय मुझे दिखाई देते हैं। ध्यान में मुझे असीम आनंद आता है, जो चिर स्थाई हो गया है। दिन भर एक खुमारी सी रहने लगी है।
  • मैं जय गुरुदेव-जय गुरुदेव का जाप करता था, इस प्रकार मैंने 8 महीने तक बिना दीक्षा लिये, केवल फोटो पर ध्यान किया। उससे मेरा गहरा ध्यान लगता था, विभिन्न प्रकार की यौगिक-क्रियाएँ होती थी, मुद्राएं लगती थी। ध्यान में मुझे असीम आनंद आता था, जो चिर स्थाई हो गया। दिन भर एक खुमारी सी रहने लगी। बाद में मैंने दीक्षा ली। ध्यान के दौरान मुझे एक विशाल सर्प दिखता था, जो मेरे कण्ठ में बैठ गया तथा जो शब्द गुरुदेव ने दिया था, उस मंत्र को वह सर्प रटने लग गया। मुझे इस बात से डर लगने लगा। सर्प, स्त्री रूप में बदल गया, फिर वह स्त्री उस शब्द को जपने लगी। मेरे में एक भय सा पैदा हो गया।

  • मैंने शंकर जी को इस बारे में बताया, तो उन्होने कहा कि आप गुरुदेव से प्रार्थना करो, यह तो आपके लिए अच्छा हो रहा है। मैं उनके कहने से आश्रम गया तथा पूरी घटना बयां की तो उन्होंने पूरी बात सुनकर कहा कि आप तो धन्य हो गये। जगत् जननी कुण्डलिनी शक्ति के दर्शन हो गये। उस शक्ति ने ही तो आपकी पीड़ा हर ली है। अब आपको डरने की जरूरत नहीं। नाम जप व ध्यान करते रहो।

  • कभी ध्यान के दौरान सर्प, गुरुदेव में रूपान्तरित हो जाता, तो कभी हृदय में दिखता, कभी मंत्र ही गुरुदेव बन जाते, तो कभी मंत्र तारनुमा लम्बा हो जाता है और वह आकृति एक प्रकाश पुँज के रूप में पूरे शरीर में फैल जाती। इतने अजीब-अजीब दृश्य दिखते हैं, जिनकी शब्दों में व्याख्या ही नहीं कर सकते है। मैं लोहे का कार्य करता हूँ। गुरुदेव और दादा गुरुदेव दोनों ही हर समय मुझे दिखाई देते हैं।

  • गुरुदेव की कृपा से आज मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ। जीवन पूरी तरह सात्विक बन गया है। मेरी आम जन से यही राय है कि आप गुरुदेव की तस्वीर का ध्यान करो तो आपको समझ में आ जाएगा कि यह दर्शन क्या है। गुरुदेव के चरणों में मेरा बारम्बार प्रणाम।

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