Image राजेन्द्र कुमार

राजेन्द्र कुमार

हर्पिस जोस्टर ओफ्थेल्मिक्स का ठीक होना

पता

राजेन्द्र कुमार, M ‘A’ 177 कमला नेहरू नगर 5 जोधपुर

मैं दिसम्बर 90 से 'हर्पिस जोस्टर ओफ्थेल्मिक्स बीमारी से ग्रस्त था। मेरे सिर पर काफी भाग में बीमारी के कारण फोड़े वगैरह भी हो गए एवं एक दाहिनी आँख भी इसकी चपेट में थी। इसकी वजह से सिर के अन्दरूणी भाग में भी कभी-कभी बहुत असहनीय खुजली व जलन होती थी जो कि काफी पीड़ा दायक थी।

  • मैंने डॉक्टरों से इलाज भी करवाया जिसके कारण फोड़े वगैरह तो ठीक हो गये परन्तु सिरके आन्तरिक भाग में खुजली व तीव्र जलन बरकरार रही। जब कभी इस तरह होती थी तो ऐसा लगता था कि सिर के किसी भाग में काफी चींटियाँ काट रहीं हो। किसी कार्य में मन नहीं लगता था।

  • गर्मी बरदास्त नहीं होती थी। इस वजह से मुझे मानसिक तनाव रहने लगा तथा जिससे मुझे नींद भी बहुत कम आती थी। इस बीमारी के कारण मैं सदैव डिप्रेशन में रहने लगा था।

फरवरी 94 में मेरे जीजाजी के कहने पर बीकानेर में सदगुरुदेव श्री रामलालजी से दीक्षा ली एवं नियमित रूप से ध्यान करने लगा। 3-4 दिनों में मुझे गर्दन की यौगिक क्रियाएँ प्रारम्भ हुई एवं सिर की नसों में काफी खिंचाव होता था। 15-20 दिनों में ही सिर की खुजली एवं आंतरिक जलन से, मैं मुक्त हो गया।
  • तब से लेकर आज तक कभी भी इस तरह की खुजली और जलन नहीं हुई। आजकल ध्यान में हल्का योग होता है एवं ठुड्डी, गले व छाती के सन्धि स्थल पर लग जाती है फिर पेट का आंतरिक खिंचाव स्वतः ही होने लगता है व पेट रीढ़ की हड्डी से चिपकने लगता है।

  • आज्ञाचक्र पर भी काफी आनन्ददायक खिंचाव होता हैं तथा शरीर एकदम हल्का हो जाता है, तथा बिल्कुल चिंता मुक्त हो गया हूँ। धूप में घूम कर भी काफी काम-काज करता हूँ। दीक्षा से पूर्व तो धूप में निकल ही नहीं सकता था। आँखें बहुत लाल हो जाती थी और सदैव काला चश्मा पहने रखता था। अब बिना चश्में के ही सारे कार्य कर लेता हूँ एवं गुरुदेव की कृपा से स्वस्थ हूँ।

Share