साधकों के अनुभव

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रोग ठीक हुए


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झोटवाड़ा, जयपुर - 302012 (राज.) भारत

मैं, (कृष्ण शर्मा) पिछले 15 वर्ष से माईग्रन से पिडित था और 2009 से मुझे प्रोस्ट्रेट की समस्या हो गई। मैंने 23 मार्च, 2000 को गुरुदेव से दीक्षा ली थी। पर मैं कभी ध्यान नहीं करता था।

फरवरी-मार्च, 2010 में जब गुरुदेव के जयपुर में कार्यक्रम हुए, तब से मैंने ध्यान और जप शुरू किया। गुरुदेव से बीमारियाँ ठीक करने की प्रार्थना की।
— श्री कृष्ण शर्मा
  • आज गुरुदेव की कृपा से सारी बीमारियाँ ठीक होकर, मेरा जीवन जो पहले दवाईयों पर आश्रित था, आज उनसे मुक्त है।

  • मेरी जिन्दगी बदल गई है अब तो किसी व्यक्ति से मिलता हूँ तो सिर्फ गुरुदेव की ही चर्चा करता हूँ। मेरी भांजी, जो भिलवाड़ा में रहती है, उसके बच्चेदानी में गांठ हो गई थी। डाॅक्टर ने तुरन्त ऑपरेशन की सलाह दी। भांजी रोने लगी और मेरे से सम्पर्क किया। मैंने गुरुदेव की मंत्र सीडी भेजकर ध्यान व जप करने को कहा और उसने वैसा किया।

  • एक माह बाद उसी डाॅक्टर से वापस जांच करवाई तो डाॅक्टर ने किसी प्रकार की बीमारी होने से मना कर दिया। आज वह गुरुदेव की कृपा से बिल्कुल स्वस्थ है।

  • अतः मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग की शरण में आ जाओ वो स्वयं कल्कि भगवान हैं जो आपका उद्धार करने धरा पर अवतरित हुए हैं।


संदर्भ: आध्यात्मिक विज्ञान पत्रिका अप्रैल - मई 2013

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गाँव-सालकोट, जिला – सुरखेत, पश्चिम नेपाल

मैं, (करण बहादुर क्षेत्री) डी.एस.सी. मे सर्विस करता हूँ। मैं शुगर व गुर्दे की पथरी से बहुत परेशान था। उसी दौरान गुरुभाई राजेन्द्र ने मुझे गुरुदेव के बारे में बताया तथा गुरुदेव का फोटो दिया व ध्यान का तरीका बताया।

मैंने सोचा कि अपने हाथ से अपने शरीर में सुई लगाऊं, इससे अच्छा तो मर जाना है। मैंने अस्पताल से बाहर आकर इन्जेंक्शन व दवाईयाँ फेंक दी। फिर मेरे दिमाग में आया कि दवाईयाँ तो अब मैं लूंगा नहीं, गुरुदेव का ध्यान करके देखता हूँ, सच्चाई है या नहीं।
— करण बहादुर क्षेत्री
  • मैं आई.एन.एच.एस. अश्विनी, मुम्बई में भर्ती हुआ। जब मैं अस्पताल में भर्ती हुआ तब मेरा शुगर स्तर 450 था। जब अस्पताल से छुटी दी तो मेरा शुगर स्तर 550 था मुझे इन्सुलिन के इन्जेंक्शन व दवाईयाँ दी गई और कहा कि ये इन्जेंक्शन आप खुद अपने पेट में लगा लेना।

  • ध्यान करना शुरू करने पर मुझे यौगिक क्रिया में तरह-तरह के प्राणायाम होने लगे और मैं ध्यान के दौरान बहुत रोया भी। मेरी घरवाली घबरा गई और पूछा कि आपको यह क्या हो गया परन्तु मैने उसे कुछ नहीं बताया।

  • उसके बाद में धीरे-धीरे ठीक होने लगा। आज मैं बिल्कुल स्वस्थ हूँ। मेरे गुर्दे की पथरी भी निकल गई व आज मेरा शुगर 93-110 है। इसके लिए मुझे किसी प्रकार की दवाईयाँ नहीं खानी पड़ी।

  • आज में आठ किलोमीटर पैदल चलता और दौड़ता भी हूँ। गुरुदेव की कृपा और मंत्र जाप और ध्यान से मेरी जिन्दगी बदल गई है।


संदर्भ: आध्यात्मिक विज्ञान पत्रिका - दिसंबर 2010

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विजय नगर, भगत की कोठी, जोधपुर, (राज.) भारत

मैं (ज्योति वर्मा) सर्व प्रथम गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चरणों में प्रणाम करती हूँ जिन्होंने मेरे नारकीय जीवन को स्वस्थ व शांतिमय बनाया। खुशियों के जीवन में कष्टों का तूफान कब आ जाये पता नहीं। मेरी शादी के बाद खुशी कम और गम ज्यादा रहे।

  • पेट दर्द होने के कारण पहली बार डाॅक्टर को दिखाया। अस्पताल व लेबोरेट्रियों में जाँच का सिलसिला शुरू हुआ। जाँच में डाॅक्टर ने ओवरी के कैंसर की पुष्टि की। पहला ओवरी का ऑपरेशन हुआ। दूसरी ओवरी भी कैंसर की चपेट में आने से डाॅक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। मुम्बई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में कैंसर की पुष्टि हुई।

  • इस के बाद माँ बनने का सपना सदा-सदा के लिए चूर हो गया। मैं चिंता और पश्चाताप में डूब गई।

  • जोधपुर के रहने वाले श्री गंगाराम बैरवा ने पूज्य गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के सिद्धयोग दर्शन के बारे में बताया और ध्यान करने की विधि बताई। अब तक हजारों रूपये खर्च करने पर भी कोई परिणाम नहीं मिला था।

  • आखिर गुरुदेव की तस्वीर के नियमित ध्यान और उनके आदेश से बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी कि समाधि स्थल पर पूजा अर्चना की।

  • दुबारा टेस्ट कराने पर ओवरी में कैंसर की पुष्टि नहीं हुई, दूसरी ओवरी का ऑपरेशन टला। अब गुरुदेव की कृपा से जीवन आनन्दमय व पूर्ण स्वस्थ है। मैं ऐसे परम दयालु समर्थ सदगुरुदेव के श्री चरणों में प्रणाम करती हूँ।

संदर्भ: आध्यात्मिक विज्ञान पत्रिका - दिसंबर 2010

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कबलाना, झज्जर, हरियाणा, भारत

सर्वप्रथम पूज्य सदगुरुदेव को प्रणाम। मैं साहब सिंह भारतीय थल सेना मुम्बई में कार्यरत हूँ। मैं कमर दर्द की तकलीफ से परेशान था। जब जाँच करवाई तो एमआरआई में पीआईवीडी (Prolapse Intervertebral Disk) L4-L5 निकला और मुझे मुम्बई नेवल अस्पताल आईएनएचएस अश्विनी में भर्ती होना पड़ा।

  • उस समय तक मेरी परेशानी बढ़ गई थी। एक ही जगह दो मिनट से ज्यादा नहीं बैठ सकता था व टेढ़ा होकर चलता था।

  • डाॅक्टर ने बताया कि आपके रीढ़ की हड्डी में एल4, एल5 के बीच में जो Intervertebral Disk होती है वह घिस गई है व एल4, एल5 दोनों vertebra आपस में मिल रहीं हैं। जिस कारण से डाॅक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। और बताया कि ऑपरेशन रिस्की है।

उसी दौरान मेरे एक दोस्त ने मुझे गुरुदेव के बारे में बताया और गुरुदेव की कृपा से मेरा ध्यान लग गया। मैं एक ही स्थिति में आधा घण्टा बैठा रहा व मुझे कोई दर्द नहीं हुआ जबकि मैं एक ही स्थिति में 2 मिनट से ज्यादा नहीं बैठ सकता था। इस कारण से मेरा गुरुदेव के प्रति समर्पण हो गया।
— साहब सिंह
  • मैने सितम्बर 2009 में दीक्षा ली। दिन प्रति दिन मेरा ध्यान गहरा होता गया। सात दिनों में ही मुझे बहुत आराम मिल गया और 15 दिन में मैं बिल्कुल स्वस्थ हो गया ।

  • पहले मैं दर्द के इंजेक्शन व दवाई लेता था। गुरुदेव का मंत्र जप व ध्यान करने पर बहुत आराम मिला तो इंजेक्शन व दवाई बंद कर दी।

  • डाॅक्टर ने मुझे वजन उठाने, दौड़ने व खेल खेलने से मना किया था। अब मैं पूर्णरूप से स्वस्थ हूँ और कोई दवाई नहीं खाता हूँ। सुबह 5 किलोमिटर दौड़ता हूँ, खेल खेलता हूँ व सेना की ड्यूटी करता हूँ।

  • पहले मैं माँसाहारी था। अब खाने का मन ही नहीं करता व शुद्ध शाकाहारी बन गया हूँ। अब मैं गुरुदेव का प्रचार कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ ज्यादा-ज्यादा से लोग इस दर्शन से लाभान्वित हों। ऐसे समर्थ सदगुरुदेव को कोटि-कोटि नमन्।


संदर्भ: आध्यात्मिक विज्ञान पत्रिका - दिसंबर 2018

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प्रधान अधिकारी, भारतीय तट रक्षक, अश्विनी हाॅस्पिटल, मुम्बई, भारत/span>

सदगुरुदेव को कोटि-कोटि प्रणाम।
मै, (रघुनाथ सिंह) अश्विनी अस्पताल में भर्ती हुआ क्योंकि मेरे लिवर में सूजन व हाथ में दर्द रहता था।

मेडिकल वार्ड में किसी ने मुझे सिद्धयोग का कार्ड व पेम्फलेट दिया और मैंने सिद्धयोग की क्लास अटेन्ड की जो सोमवार को होती थी। उस दिन सिद्धयोग दर्शन, मनुष्य जीवन में सदगुरुदेव सियाग के ध्यान से आने वाले परिवर्तन के बारे में जानकारी देकर 15 मिनट का ध्यान कराया गया। उस दिन काफी शान्ति मिली और मन हल्का हो गया।
— रघुनाथ सिंह
  • दूसरे दिन से ही पूरे शरीर में स्वतः यौगिक क्रियाएँ होने लगीं। 4-5 दिन मुझे ध्यान के दौरान ये क्रियाएँ होती रही। सघन मंत्र जाप करने पर भी पूरे शरीर में यौगिक क्रियाएँ होने लग जाती है।

  • अब मैं पूर्णरूप से स्वस्थ हूँ। गुरुदेव की कृपा से बहुत आनन्द आ रहा है व हल्का महसूस हो रहा है।


  • संदर्भ: आध्यात्मिक विज्ञान पत्रिका - नवंबर 2017

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LWK, DSC अश्विनी हाॅस्पिटल, मुम्बई, भारत

सदगुरुदेव को कोटि-कोटि प्रणाम!
मैं (गंगा सिंह) अश्विनी अस्पताल में मार्च, 2017 में भर्ती हुआ। मुझे Chronic Myeloproliferative Neoplasm Essential. की समस्या थी।

  • अस्पताल में सिद्धयोग दर्शन की जानकारी दी जाती है। अप्रेल 2017 से मैने भी सिद्धयोग शुरू किया।

अप्रेल 2017 में मेरी प्लेटलेट्स संख्या 5,07,000 थी पर गुरुदेव सियाग का छः महीने ध्यान करने के बाद जब मैने दूबारा टेस्ट कराया तो रिपोर्ट में प्लेटलेट्स की संख्या 3,50,000 थी जो सामान्य है।
— गंगा सिंह
  • मुझे ऐसा लगता है कि मेरे सारे कार्य गुरुदेव की कृपा से पूरे होते हैं। मैं जो भी कार्य करता हूँ, गुरुदेव को बताकर करता हुँ और मेरा कार्य पूर्ण हो जाता है। ध्यान के बाद मुझें बहुत हल्का और शांति महसूस होती है। ऐसे समर्थ सदगुरुदेव को बार-बार नमन् करता हूँ।


संदर्भ: आध्यात्मिक विज्ञान पत्रिका - नवंबर 2017


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