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भारत की स्थिति
10 अक्टूबर 1997
बीकानेर
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

आज भारत में जितनी तामसिकता है, उतनी किसी युग में नहीं रही। आज देश में जितना अविश्वास है, उतना पहले कभी नहीं रहा। आज देश का हर व्यक्ति एक-दूसरे को ठगने का प्रयास कर रहा है।

  • कोई समझ नहीं पा रहा है, देश किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। ईश्वर पर सही अर्थों में किसी का विश्वास रहा ही नहीं। हर व्यक्ति भविष्य के बारे में सर्वाधिक चिन्तित है।सभी लोग लोभ, लालच के वशीभूत होकर येनकेन प्रकारेण धन संग्रह में लगे हैं। ऐसे लोगों की संख्या देश में बहुत तेजी से बढ़ रही है। देश का आधे से ज्यादा धन, इस वृत्ति के लोगों के पास अनधिकृत रूप से काले धन के रूप में जमा किया हुआ पड़ा है।

  • एक तरफ लोगों को खाने-पीने की मूलभूत जरूरत पूरी करने के लिए धन नहीं मिल रहा है, दूसरी तरफ खर्च करने को कोई जगह नहीं है। जब तक सरकार में बैठे लोग धार्मिक और चरित्रवान् नहीं होंगे, देश का उत्थान असंभव है।

  • मैं देख रहा हूँ, ऐसी वृत्ति के लोगों का पतन प्रारम्भ हो चुका है, सबसे खुशी की बात तो यह है कि इस बार यह कार्य ऊपर से प्रारम्भ हुआ है, अतः नीचे तक फैलने में अधिक देर नहीं लगेगी। किसी हद तक यह परिवर्तन नीचे तक पहुंच चुका है, यह बहुत ही शुभ लक्षण है।

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