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अमेरिका को फोबिया हो गया है।
4 मई 2003
मुम्बई
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

फोबिया एक ऐसा रोग है, जिसका उपचार भौतिक विज्ञान अभी तक बिल्कुल नहीं ढूढ सका है। इसके कारण मनुष्य को अकारण भय लगता है। मेरे एक शिष्य को यह रोग हो गया था। 25-26 साल के एक लड़के को बीकानेर में यह रोग 7-8 साल से परेशान कर रहा था। मेरे एक शिष्य के घर पर उसने केवल मेरी तस्वीर का, अपने आज्ञाचक्र पर ध्यान किया। 2-3 दिन में वह उस भंयकर असाध्य रोग से पूर्णरूप से मुक्त हो गया।

  • इसी तरह श्री मदन गोलच्छा नाम का तेरापंथी जैनी भी जोधपुर में मुझसे से दीक्षा लेने के बाद पूर्णरूप से मुक्त हो गया। यह राजस्थान के बाड़मेर जिले का है और अहमदाबाद में रेडीमेड गारमेन्ट बनाता है। जयपुर युनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर मेरे पास आए और कहा कि मेरी राशि में मार्केश की दशा लग गई है, फलां दिन मर जाउंगा। मैंने कहा एक महीने बाद तक के जीवन की गांरटी कौन देता है? इस बात को एक साल हो गया, अभी भी वह जिन्दा है।

  • एड्स जैसे असाध्य रोग में भी मेरी तस्वीर का आज्ञाचक्र पर ध्यान करने से बहुत सुधार आ रहा है। पूर्ण स्वस्थ तो अभी तक दीक्षा लेने के बाद ही हुए हैं। अगर मानव-जाति में केवल मेरी तस्वीर का ध्यान करने से एड्स जैसे रोग से मानव जाति पूर्णरूप से मुक्त हो जाती है तो इस रोग का वायरस सम्पूर्ण विश्व में खत्म हो जाएगा।

  • सम्पूर्ण मानव जाति अभी तक आधि-दैहिक तथा आधि-भौतिक नामक दो वृत्तियों के कारण कष्ट भोग रही थी। इन वृत्तियों के कारण सम्पूर्ण भू-मण्डल पर विभिन्न प्रकार के रोगों से मानव जाति भयंकर कष्ट भोग रही थी। सन 1991 से मानव आधि-दैविक कष्टों से ग्रसित हो गया जिसका फल 11 सितम्बर 2001 के हादसे के रूप में विश्व में प्रकट हुआ।

  • आधि-दैविक कष्ट को विज्ञान की भाषा में वायरस रोग कह सकते हैं। पहले दो तत्वों से मानव-जाति जो कष्ट भोग रही थी उसका तो उपचार करने में भौतिक विज्ञान किसी हद तक सफल हो रहा था परन्तु वायरस रोगों का इलाज करने की सामर्थ्य अभी विज्ञान के लोगों में नहीं है।

  • इस वृत्ति से पैदा होने वाले रोगों ने विश्व को हिलाकर रख दिया है। मध्य-पूर्व (मिडल ईस्ट) के वायरस ने सम्पूर्ण विश्व में खून की नदियाँ बहानी प्रारम्भ कर दी है। यह वायरस इतना शक्तिशाली है कि यह मौत तक से भयभीत नहीं होता। इसलिए सम्पूर्ण विश्व इसके भय से थर-थर काँप रहा है, क्योंकि मरने से सम्पूर्ण मानव जाति भयभीत है।

  • किसी जाति, धर्म या देश पर अचानक एक ऐसा कष्ट आ पड़े जिसे वह जाति, धर्म या देश सहन नहीं कर सके तो उसका सन्तुलन पूर्णरूप से बिगड़ जाता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में वायरस डिजीज कहा जाता है। इससे उस देश, धर्म और जाति के लोगों को अकारण मृत्यु भय लगने लगता है। यह भय उन्हें 24 घण्टे लगातार बना रहता है। जिसके कारण वह मानसिक व शारीरिक रोगों से बुरी तरह ग्रस्त हो जाता है।

  • मध्यपूर्व में पैदा हुए वायरस से अमेरिका जैसा विश्व का सर्वशक्तिमान देश भी थर-थर काँप रहा है तथा अपना सन्तुलन खो बैठा है। विश्व शांति के लिए अमेरिका को मृत्यु भय से शीघ्र पूर्ण मुक्ति दिलाना जरूरी है।

'अहिंसापरमोधर्मः' के सिद्धान्त पर आधारित वैदिक धर्म ही यह कार्य कर सकता है। अतः अब वेदान्तियों का यह प्रथम कर्तव्य है कि अमेरिका को शीघ्रातिशीघ्र, इस भय से मुक्त करावें तभी विश्व में पूर्णशांति संभव होगी। भारत में फोबिया के वायरस पर काबू करने वाला वायरस सक्रिय हो चुका है।

- समर्थ सद्‌गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग

  • फोबिया वायरस से उबरने के लिए अमेरिका को भारत की शरण में आना ही होगा पुनः इस अवतारों की भूमि पर।

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