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"मंत्र शक्ति" पर इस युग के मानव का विश्वास क्यों खत्म हुआ ?
मार्च 8, 1988
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

शब्द की उत्पति मात्र उस परमसत्ता की देन है। हर अक्षर किसी न किसी शक्ति का स्वरूप है। सारी शक्तियाँ मनुष्य के शरीर में स्थित हैं। हर शक्ति का उपयुक्त स्थान है।

  • अतः उपयुक्त मंत्र का जप उसके स्थान विशेष पर ध्यान केंद्रित करके, करने पर निश्चित समय में, वह शक्ति अवश्य चेतन हो जायेगी। हमारे धर्म की गुरु-शिष्य परम्परा इस पर विस्तार से प्रकाश डालती है।

चेतन गुरु से जो मंत्र प्राप्त किया जाता है, उस मंत्र को सिद्ध करने की शिष्य को कोई आश्यकता नहीं होती। चन्द दिनों में वह शक्ति अपनी प्रत्यक्षानुभूति कराने लगती है।

गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग

— मार्च 8, 1998
  • जिस व्यक्ति ने चेतन गुरु से दीक्षा ली है, और शक्तिपात के द्वारा गुरु अपनी ताकत उसे दे कर गया है, केवल वही मंत्र दीक्षा देने का अधिकारी है। ऐसा व्यक्ति जब मंत्र दीक्षा देता है तो वह शक्ति मानव के कल्याण हेतु कार्य करती है। परन्तु अगर मंत्र दीक्षा देने वाला गुरु चेतन नहीं है तो उस मंत्र की शक्ति कभी भी प्रकट नहीं होगी।

  • अगर अधिक कष्टों के कारण एकाग्रता अधिक हुई तो लाभ के स्थान पर हानि होने की अधिक सम्भावना है, क्योंकि जब वह शक्ति चेतन होगी तो सक्षम गुरु के आशीर्वाद के अभाव में मनुष्य उसकी ताकत को सहन नहीं कर सकेगा और अनेक प्रकार की मानसिक व दिमागी बीमारियाँ लगने की ही सम्भावना अधिक रहेगी।

अगर चेतन गुरु ने मंत्र दीक्षा दी है तो वह शक्ति कोई भी हानि नहीं पहुँचा सकती है।

गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग

— मार्च 8, 1998
  • आजकल लोग पुस्तकों से मंत्र का ज्ञान प्राप्त करके उसका जप करते हैं। वह निर्जीव मंत्र न हानि पहुँचा सकता हैं और न ही लाभ। इस प्रकार लम्बे समय तक जब कोई उत्तर नहीं मिलता तो लोग यह मान लेते हैं कि मंत्र-तंत्र की बात झूठी और काल्पनिक है। इससे मानव का भला बुरा कुछ भी होना सम्भव नहीं है।

  • क्योंकि सात्त्विक जगत् के गुरुओं का नितान्त अभाव है, अतः यह शक्ति लोप हो चली है। थोड़े बहुत तुच्छ वाम मार्गी उपासक कहीं-कहीं अपनी तामसिक शक्तियों का हल्का फुल्का चमत्कार दिखा कर, संसार के अनभिज्ञ लोगों को ठग रहे हैं। क्योंकि सात्त्विक शक्तियाँ मानव का बुरा करने की शक्ति नहीं रखती, उसे तो ईश्वर ने मात्र भलाई करने की शक्ति प्रदान की है।

  • ये वाम मार्गी तामसिक शक्तियों के उपासक किसी प्रचलित सात्त्विक शक्ति के नाम से अपना धन्धा चला रहे हैं। इस प्रकार मंत्र, तंत्र, जादू टोना, ताबीज, गंडा आदि नामों के माध्यम से लोगों को ठग रहे हैं। क्योंकि इस युग में इन्हीं लोगों का बोलबाला है, अतः नाम खुमारी की बात पर लोगों का विश्वास ही नहीं होता, क्या करें ?

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